महोबा, सितम्बर 27 -- उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के महोबा में बढ़ते प्रदूषण से जन स्वास्थ्य पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव के दृष्टिगत आक्सीजन पार्क की स्थापना का निर्णय लिया गया है। यह प्रस्तावित पार्क यहां पर्यवरण संरक्षण के साथ ही लोगों को शुद्ध प्राण वायु प्रदान करने में अहम योगदान देगा।
विकास के नाम पर जंगलो की जमकर कटान और पहाड़ों के अंधाधुंध खनन से बुंदेलखंड में पर्यावरण को भारी खतरा पैदा हो गया है। जल जंगल जमीन का भारी पैमाने पर दोहन पूरे क्षेत्र को विनाश की ओर धकेल रहा है। एशिया में खनिज की बड़ी मंडी के लिए मशहूर महोबा जिले में ग्रेनाईट खदानो पर खनन के लिए सैकड़ो किलो ग्राम बारूद के हर रोज इस्तेमाल से यहां की हवा जहरीली हो चलीं है. हवा में मिश्रित होकर तैर रहे धूल के छोटे छोटे कण श्वास के द्वारा लोगों के फेफड़ों में जमा होकर उन्हें बीमारियो की गिरफ्त में जकड़ रहे है।
स्वास्थ्य विभाग की माने तो जिले में टीबी ओर सिलकोसिस के रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक क्षेत्र की करीब 30 फीसद आबादी श्वास से सम्बन्धित बीमारियो की चपेट में आकर तिल -तिल मरने को विवश है.इन दिनों यहां कानपुर - सागर राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन किये जाने के क्रम में कबरई से कैमाहा के मध्य सड़क चौड़ी करण के लिए 4669 हरे पेड़ो को काटे जाने का कार्य भी किया जा रहा है.जिससे पर्यावरण संतुलन और बिगड़ने का खतरा है।
नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी अवधेश कुमार ने बताया कि महोबा मुख्यालय में सघन आबादी से सटे प्राचीन जलाशय मदन सागर के तटबंध पर लगभग डेढ़ वर्ग किलो मीटर के क्षेत्रफल वाले नेहरू पार्क को आक्सीजन पार्क के रूप में विकसित करने के प्रस्ताव पर कार्य शुरू किया गया है. जिसके तहत पार्क में हरियाली ओर शुद्ध हवा को उत्सार्जित करने वाले पेड़ पौधों को स्थापित कराया जाएगा। इससे नागरिकों को पर्यावरण प्रदूषण से छुटकारा के साथ आवश्यक प्राण वायु उपलब्ध हो सकेगी।
उन्होंने बताया कि पूर्व में नेहरू पार्क के नाम से विख्यात यह रमणीक प्राकृतिक स्थल था लेकिन तीन दशक पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा अधिग्रहित कर लिए जाने के बाद समुचित देखरेख न होने से उपेक्षा का शिकार हो कचरा घर में तब्दील हो गया।
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