नयी दिल्ली, सितंबर 25 -- केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कहा कि देश के जल-संकटग्रस्त ग्रामीण ब्लॉकों में पानी संबंधी कार्याें को प्राथमिकता देने के लिए मनरेगा के तहत निश्चित राशि अब जल संरक्षण के कामों पर ही खर्च होगी।
श्री चौहान 'जल सुरक्षा पर राष्ट्रीय पहल' के शुभारंभ के अवसर पर ऑनलाइन माध्यम से लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर तथा केंद्रीय जल शक्ति मंत्री चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल और केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान भी उपस्थित थे।
श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत जल सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता का दर्जा दिया है। महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम, 2005 में संशोधन करके ग्रामीण ब्लॉकों में पानी बचाने संबंधी कामों पर न्यूनतम व्यय को अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का निर्देश था कि मनरेगा योजना में जो पैसा मिलता है, उसका निश्चित भाग जल संरक्षण के काम पर खर्च होना चाहिए। इसलिए मनरेगा में यह प्रावधान किया गया है कि 'अति जलसंकट ग्रसित' वाले प्रखंडों में मनरेगा की 65 प्रतिशत राशि पानी बचाने के कामों पर खर्च होगी, वहीं अर्ध गंभीर ब्लॉकों में मनरेगा की 40 प्रतिशत राशि और और जहां जल संकट नहीं है, वहां कम से कम 30 फीसदी राशि खर्च करनी होगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब संपूर्ण देश में मनरेगा का पैसा जल संरक्षण के कार्यों में प्राथमिकता के साथ खर्च होगा, इससे भूजल स्तर बढ़ाने और जल संरक्षण अभियान को गति मिलेगी। यह नीतिगत आवंटन सुनिश्चित करेगा कि संसाधन उन क्षेत्रों में पहुंचाए जाएं, जहां उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि सरकार की अमृत सरोवर योजना में 50 हज़ार के लक्ष्य के मुकाबले 68 हज़ार सरोवर बनाए गए हैं।
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