वाराणसी , नवंबर 14 -- जीआई मैन ऑफ इंडिया के नाम से ख्यातिप्राप्त पद्मश्री सम्मानित डॉ. रजनीकांत ने शुक्रवार को बताया कि भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी मथुरा जरी पोशाक और स्वाधीनता क्रांति के केंद्र मेरठ के बिगुल को भौगोलिक संकेतक टैग (जीआई) मिल गया है।
मथुरा के सभी जरी पोशाक बनाने वाले शिल्पियों में काफी उत्साह है, जिनमें मुस्लिम शिल्पी शामिल हैं, जो कई पीढ़ियों से मथुरा में जरी पोशाक बना रहे हैं और इसमें महिला शिल्पियों का बड़ा योगदान है।
श्री रजनीकांत ने बताया कि मथुरा जरी पोशाक के लिए जिला प्रशासन और सिडबी ने सहयोग प्रदान किया तथा स्थानीय महिलाओं की संस्था खजानी वेलफेयर सोसाइटी ने आवेदन किया था। वहीं, क्रांति की धरती मेरठ से बिगुल संगीत वाद्ययंत्र के लिए नाबार्ड उत्तर प्रदेश और जिला प्रशासन के योगदान से मेरठ वाद्ययंत्र निर्माता, विक्रेता, व्यापारी वेलफेयर एसोसिएशन ने आवेदन किया था।
मेरठ अपने संगीत वाद्ययंत्र निर्माताओं के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है और आज भी बड़ी संख्या में यहां से बिगुल, ट्रम्पेट, ड्रम सहित 10 अलग-अलग तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स बनते हैं तथा बैंड-बाजा-बारात की शोभा बढ़ाते हैं। मेरठ के बिगुल का 1857 गदर में भी बड़ा योगदान रहा है। आज भी स्कूलों से लेकर सभी सेना, पुलिस में नियमित रूप से बिगुल बजाकर ही शुरुआत होती है। इन दोनों क्राफ्ट्स को डॉ. रजनीकांत की अगुआई में पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत सुनवाई के उपरांत भारत की बौद्धिक संपदा में शामिल करते हुए जीआई पंजीकरण प्रदान किया गया।
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