नयी दिल्ली , नवंबर 06 -- केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कतर के दोहा में सामाजिक विकास पर आयोजित दूसरे विश्व शिखर सम्मेलन के उच्च-स्तरीय गोलमेज सम्मेलन में भारत में गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में परिवर्तनकारी यात्रा पर प्रकाश डाला।

डॉ. मंडाविया ने शिखर सम्मेलन में नीति आयोग द्वारा आयोजित गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में बताया कि इस क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। इस अवसर पर श्री मंडाविया ने श्रम, कौशल और सामाजिक सुरक्षा में सहयोग को मज़बूत करने के लिए रोमानिया, रूस, कतर, यूरोपीय संघ और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी की।

श्री मंडाविया ने नीति आयोग द्वारा बुधवार को "गरीबी से मुक्ति के मार्ग: अंतिम व्यक्ति को सशक्त बनाने में भारत का अनुभव" विषय पर आयोजित कार्यक्रम में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने और देश की 64 प्रतिशत से अधिक आबादी तक सामाजिक सुरक्षा कवरेज पर विस्तार से जानकारी देते हुये भारत सरकार की उपलब्धियों को साझा किया।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के विकास के केंद्र में महिलाएं और बच्चे हैं, इसी सामाजिक सुरक्षा की कड़ी में देशभर में 11.8 करोड़ से ज़्यादा स्कूली बच्चे मध्याह्न भोजन प्राप्त कर रहे हैं और लाखों महिलायें स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर ज़मीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा दे रही हैं।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जेएएम (जन धन, आधार, मोबाइल) के माध्यम से भारत की डिजिटल क्रांति ने कल्याणकारी योजनाओं के वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता और समावेशिता सुनिश्चित की है। उन्होंने बताया कि कौशल भारत मिशन के तहत 1.4 करोड़ से ज़्यादा युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है और नई प्रधानमंत्री विकासशील भारत रोज़गार योजना से 3.5 करोड़ और औपचारिक नौकरियों के अवसर सृजित होंगे।

डॉ. मंडाविया ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा आयोजित वैश्विक सामाजिक न्याय गठबंधन के सत्र में भी सामाजिक न्याय और जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण को आगे बढ़ाने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत ने 2017 और 2023 के बीच 17 करोड़ से अधिक नौकरियों का सृजन किया है, जिससे बेरोजगारी 6 प्रतिशत से घटकर 3.2 प्रतिशत हो गयी है और इसके साथ ही महिलाओं की कार्यबल भागीदारी लगभग दोगुनी हो गई है।

डॉ. मंडाविया ने सामाजिक न्याय पर वैश्विक संवाद को बढ़ावा देने के लिए आईएलओ और वैश्विक गठबंधन की सराहना की। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने फरवरी 2025 में सामाजिक न्याय पर पहली क्षेत्रीय वार्ता की मेजबानी की थी, जहां भारत के सबसे बड़े नियोक्ता महासंघ और श्रमिक संघ सहित 21 से अधिक संगठनों ने गठबंधन में शामिल होने का संकल्प लिया था।

डॉ. मंडाविया ने भारत के मजबूत सामाजिक सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को भी रेखांकित किया, जिसमें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) 7.8 करोड़ से अधिक सदस्यों को सेवा प्रदान कर रहा है और इसके साथ ही कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) 15.8 करोड़ बीमित व्यक्तियों और आश्रितों को स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर रहा है। उन्होंने बताया कि कि ई-श्रम प्लेटफॉर्म 31 करोड़ से ज़्यादा असंगठित कामगारों को कवर करने के साथ ही सामाजिक सुरक्षा और बेहतर नीति निर्माण तक निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाता है।

इसके अलावा श्री मंडाविया ने कतर की सामाजिक विकास और परिवार मंत्री बुथैना बिन्त अली अल जबर अल नुआइमी के साथ अपनी बैठक के दौरान कतर के गर्मजोशी भरे आतिथ्य और दोनों देशों के बीच मज़बूत जन-जन संबंधों की सराहना की।

डॉ. मंडाविया ने रोमानिया के श्रम और सामाजिक एकजुटता मंत्री पेट्रे-फ्लोरिन मनोले से मुलाकात की और भारत और रोमानिया के बीच 77 साल से चली आ रही साझेदारी पर चर्चा की।

डॉ. मंडाविया ने आईएलओ के महानिदेशक गिल्बर्ट एफ. हुंगबो के साथ अपनी बैठक में भारत की मज़बूत साझेदारी की पुष्टि की और विकासोन्मुख वैश्विक श्रम एजेंडे को आगे बढ़ाने में इसके प्रयासों की सराहना की। दोनों पक्षों ने सामाजिक सुरक्षा, कौशल और श्रम गतिशीलता में गहन सहयोग पर चर्चा की और व्यवसायों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण हेतु एक व्यवहार्यता अध्ययन पर हाल ही में हुए समझौता ज्ञापन का स्वागत किया।

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