नयी दिल्ली , अक्टूबर 08 -- पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि उनकी सरकार न केवल संरक्षण ढांचे को मजबूत करने का काम कर रही है बल्कि उसने यह भी परिभाषित करने का काम किया है कि विकास और प्रकृति कैसे सह-अस्तित्व में रहकर काम कर सकती है।
श्री यादव ने बाघ संरक्षण फोटोग्राफी फ़ोटोग्राफ़ी प्रतियोगिता 2025 के पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता करते हुए बुधवार को यहां कहा कि देश अपनी दूरदर्शी टाइगर 2047 संरक्षण योजना के तहत स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक हर बाघ को सुरक्षित करने के लिए काम कर रहा है। पुरस्कार समारोह का आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाघों के लिए काम करने वाली इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस, आर्ट्स मैस्ट्रो और उत्तर प्रदेश पारिस्थितिकी पर्यटन विकास बोर्ड के सहयोग से 2026 में बाघ संरक्षण पर होने वाले वैश्विक शिखर सम्मेलन के पूर्व के शिखर सम्मेलन के रूप में किया था।
पर्यावरण मंत्री ने वन्य जीव संरक्षण की सफलता सुनिश्चित करने में जनभागीदारी की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि लद्दाख में हिमालय रक्षक, मध्य प्रदेश में चीता मित्र और गुजरात में वन्य जीव मित्र इसी सामुदायिक प्रबंधन शक्ति के प्रतीक के रूप में काम कर रहे हैं और इस दिशा में देश आगे बढ रहा है।
श्री यादव ने समारोह को संबोधित करते हुए बताया कि भारत कैसे संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र इसके संपन्न वन्यजीवन की नींव हैं। पिछले दशक में भारत का वन और वृक्ष आवरण 1,445 वर्ग किलोमीटर बढ़ गया है, जिसमें अब 25.17 प्रतिशत हरित आवरण है। संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क 1,022 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ गया है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 5.43 प्रतिशत है। मंत्री ने हिमाचल प्रदेश में शीत मरुस्थल बायोस्फीयर रिजर्व को यूनेस्को के विश्व नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल करने की भी जानकारी दी और कहा कि इसे भारत के पहले उच्च ऊंचाई वाले शीत मरुस्थल बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में मान्यता मिली है और इस नेटवर्क में भारत का 13वां स्थान है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा, 487 पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अब वन्यजीवों की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण गलियारों के रूप में कार्य करते हैं। केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान प्रतियोगिता के विजेताओं को बिग कैट रेंज देशों के राजदूतों, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, उत्तर प्रदेश इको-टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड और विभिन्न पर्यावरण संरक्षण संगठनों के अधिकारियों की मौजूदगी में सम्मानित किया।
प्रतियोगिता में जिन फोटोग्राफर को सम्मानित किया गया है उनमें राजर्षि बनर्जी को प्रथम पुरस्कार तथा अभिजीत चट्टोपाध्याय को द्वितीय और नारायण मालू को तृतीय पुरस्कार दिया गया। उन्होंने नोश कोप्पिकर को चतुर्थ, प्रसाद हमीने को पंचम, जीतेंद्र चावरे को छठे, विश्वास पटवर्धन को सप्तम तथा विनोद शर्मा को अष्टम पुरस्कार से नवाजा।
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