नयी दिल्ली , अक्टूबर 05 -- दूरसंचार एवं पूर्वोत्तर विभाग के मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के पूरे वास्तविक लाभ के लिए इसका विकास देश की प्राथमिकताओं के साथ और देश की भाषाओं में किया जाना चाहिए।
श्री सिंधिया ने राजधानी में चौथे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन (केईसी) के तीसरे और आखिरी दिन एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचार का अगला क्षेत्र है। इंडिया एआई मिशन के माध्यम से, भारत बड़े पैमाने पर कंप्यूटिंग अवसंरचना का निर्माण कर रहा है, स्वदेशी आधारभूत मॉडलों का समर्थन कर रहा है, और स्टार्टअप्स और अनुसंधान संस्थानों को सशक्त बना रहा है। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों ने 20,000 करोड़ रूपये मूल्य के 38,000 जीपीयू (ग्रैफिक प्रोसेसिंग यूनिट) स्थापित किए हैं, और कुल एआई पारिस्थितिकी तंत्र निवेश 10 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि एआई को भारतीय प्राथमिकताओं के अनुसार भारतीय भाषाओं में विकसित किया जाना चाहिए, न कि इसे आयातित उत्पाद के रूप में देखा जाना चाहिए।
श्री सिंधिया ने इसी संदर्भ में भाषिणी ऐप का उदाहरण दिया जिसे एआई आधारित अनुवाद का एक जीवंत उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा कि यह नागरिकों को तत्क्षण उनकी मदद कर उन्हें सशक्त बनाता है। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य एआई के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर शीर्ष पांच राष्ट्रों में से एक बनना है।
दूरसंचार मंत्री ने फिनटेक, दूरसंचार, नवीकरणीय ऊर्जा, स्टार्टअप और वैज्ञानिक अनुसंधान में भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत मोबाइल डेटा खपत में पहले, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं और मोबाइल फोन निर्माण में दूसरे, स्टार्टअप और वैज्ञानिक प्रतिभा में तीसरे और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है।
श्री सिंधिया ने "संचार: उभरती प्रौद्योगिकियाँ" विषय पर बोलते हुए इस बार के सम्मेलन के केंद्रीय विषय "अशांत समय में समृद्धि की तलाश" पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने दूरदर्शिता और अंत:शक्ति के साथ वैश्विक चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया है। उन्होंने वैश्विक कोविड महामारी से मिले सबक को याद करते हुए कहा कि कैसे उद्योग और यहाँ तक कि शिक्षा भी एक नाखून से भी छोटे माइक्रोचिप पर निर्भर थी। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत ने चाणक्य के प्राचीन ज्ञान से प्रेरित होकर इस चुनौती को अवसर में बदल दिया।
श्री सिंधिया ने कहा कि भारत के 76,000 करोड़ रुपये के भारत सेमीकंडक्टर मिशन में कई राज्यों में निर्माण इकाइयाँ स्थापित की गयी हैं और इस क्षेत्र के लिए 85,000 युवाओं को कौशल प्रदान किया गया है। इस क्षेत्र में 1.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है जिससे भारत एक आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हुआ है। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के लचीलापन का जिक्र करते हुए कहा कि संघर्ष, संरक्षणवाद, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक मुद्रास्फीति के बीच भारत ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की है।
भारत वैश्विक दक्षिण के लिए एक आधार, निष्पक्षता और समानता की आवाज़ और विभाजित भू-राजनीतिक गुटों के बीच एक सेतु के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ़ निवेश का एक गंतव्य ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए एक दिशा, अशांत समय में समृद्धि का एक विज़न और मिशन भी है। देश के विकास और समावेशन में दूरसंचार की भूमिका को रेखांकित करते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि देश में 1.22 अरब से ज़्यादा टेलीफ़ोन ग्राहक और 94.4 करोड़ ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ता हैं, जो पिछले दशक में पंद्रह गुना से भी ज़्यादा बढ़े हैं।
भारत ने दुनिया का सबसे तेज़ 5जी रोलआउट हासिल किया है, जिसने सिर्फ़ 22 महीनों में 99.8 प्रतिशत ज़िलों को जोड़ दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में ओडिशा के झारसुगुड़ा में बीएसएनएल के भारत के पहले पूर्णतः स्वदेशी 4जी स्टैक के अनावरण का भी उल्लेख किया जिसे सी-डॉट, तेजस नेटवर्क्स और टीसीएस के सहयोग से विकसित किया गया है।
डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय प्रगति का उदारहण देते हुए उन्होंने कहा कि यूपीआई सहित डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा सालाना लगभग 260 अरब लेनदेन संसाधित करता है, जो दुनिया के डिजिटल लेनदेन का 46 प्रतिशत है। सिंधिया ने ज़ोर देकर कहा कि भारत समावेशन और सशक्तिकरण के माध्यम से नवाचार का एक वैश्विक स्रोत बन गया है।
श्री सिंधिया ने कहा कि भारत उन चुनिंदा पाँच देशों के समूह में शामिल हो गया है जो एक संपूर्ण, स्वदेशी 4जी दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने में सक्षम हैं। बीएसएनएल सत्रह वर्षों के बाद लाभप्रदता की ओर लौट आया है, और इसके ग्राहक आधार एक वर्ष के भीतर 78 लाख से बढ़कर 2.2 करोड़ हो गए हैं। बीएसएन के सभी 4जी टावर 5जी में अपग्रेड करने योग्य हैं, जो भारत को भविष्य की तकनीकी मांगों के लिए तैयार कर रहे हैं।
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