अमरोहा , नवंबर 20 -- उत्तर प्रदेश के अमरोहा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) (संयुक्त मोर्चा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि भारत एक ऐसी टोल वसूली की ओर बढ़ रहा है जो जन विश्वास अर्जित करने के बजाय केवल शुल्क वसूलने वाली व्यवस्था बन कर रह गई है।
भाकियू (संयुक्त मोर्चा) के बैनर तले किसानों का गुरुवार से दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे -09 पर स्थित जोया टोल प्लाजा पर प्रस्तावित धरना विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। गेहूं का बुआई सीजन,पेराई सत्र के दौरान चीनी मिलों के चलने से व्यस्तता के बावजूद ट्रैक्टर ट्रालियों में भरकर किसानों का प्रस्तावित धरना स्थल कूंच दोपहर तक जारी रहा। किसान संगठन का आरोप है कि अमरोहा जिले में जोया और हापुड़ जिले में गढ़मुक्तेश्वर नेशनल हाईवे-09 स्थित टोल प्लाजा मिली भगत के चलते कम दूरी पर अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं, जो किसानों की आर्थिक रुप से कमर तोड़ रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने नारों के साथ टोल वसूली का जमकर विरोध किया और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से उक्त टोल प्लाजा बंद करने की मांग की।किसानों की तादाद बढ़ने पर एहतियातन भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया था। लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर अडिग रहे।
श्री नरेश चौधरी ने कहा कि आंदोलन न केवल अवैध टोल वसूली के खिलाफ है, बल्कि किसानों के व्यापक हितों और एकजुटता की रक्षा का प्रतीक है। कहा कि स्थानीय स्तर पर यह प्रदर्शन किसान एकता को मजबूत करने का काम कर रहा है, लेकिन संबंधित अधिकारियों की उदासीनता चिंताजनक है। आगे कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर और अमरोहा जिले के जोया के बीच बामुश्किल 25-30 किमी की दूरी पर स्थित टोल प्लाजा बनाए जाने से किसान और स्थानीय आम जनता पर अतिरिक्त भार पड़ने की वजह से लंबे समय से यह जायज़ मांग की जा रही है। कहा कि नियमानुसार दो टोल प्लाजा के बीच न्यूनतम 60 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए लेकिन यहां स्पष्ट रूप नियमों को धता बताई जा रही है। इसी मुद्दे को लेकर आज किसानों ने जोया टोल प्लाजा के सामने जोरदार धरना प्रदर्शन किया है।
आरोप है कि कम दूरी पर दो टोल प्लाजा बनाकर आम आदमी और खासकर किसानों से दोहरी लूट वर्षों से की जा रही है। सब्जी,दूध,अनाज जैसी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए आने-जाने वाले वाहनों से बार बार टोल वसूला जा रहा है। जिससे यह मामला एक बार फिर सरकार, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की मनमानी को उजागर करता है जहां नियमों को ताक पर रख कर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। जिससे लागत बढ़ गई है। उन्होंने सरकार से टोल दरों के पीछे के बुनियादी सिद्धांत पर सिरे से विचार करने का आह्वान किया।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण एवं संग्रह) नियम-2008 क़रीब दो दशक से देश में टोल दरों के निर्धारण का आधार रहा है।
श्री चौधरी ने कहा कि भारत में हर तीन सेकेंड में 20 नई कारें और 70 नए दोपहिया वाहन पंजीकृत होते हैं। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि जनवरी से सितंबर 2025 के बीच टोल राजस्व में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है और यह 42,474 करोड़ रुपये से बढ़कर 49,193 करोड़ रुपये हो गया है। जो कि टोल से होने वाली राजस्व प्राप्ति भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के लिए फंडिंग का अहम जरिया बन चुका है। जब से हाईवे, नेशनल हाईवे हों या फिर सुपर एक्सप्रेस वे जानलेवा साबित हो रहे हैं।
धरना स्थल पर मौजूद भाकियू संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव अरूण सिद्धू, तथा प्रवक्ता सीपी सिंह आदि किसान नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि जल्द ही एक टोल प्लाजा को हटाकर नियमों का पालन नहीं किया गया तो आंदोलन उग्र हो सकता है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित