नयी दिल्ली , अक्टूबर 22 -- विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने वाहन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की विनिर्माण प्रोत्साहन नीति पर चीन की कुछ आपत्तियों को लेकर विवाद निपटान फोरम में 'परामर्श' की कार्रवाई शुरू की है।
डब्ल्यूटीओ ने कहा कि चीन ने भारत में उन्नत रसायन सेल बैटरियों, वाहनों और वाहनों के कल-पुर्जों तथा इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी प्रोत्साहन जैसे उपायों पर 'परामर्श' किये जाने की अपील की थी।
चीन का यह अनुरोध 15 अक्टूबर को भारत को भेज दिया गया था और 20 अक्टूबर को इस मुद्दे पर 'परामर्श' के लिए विवाद निपटान फोरम को सक्रिय कर दिया गया है।
चीन का मानना है कि भारत के ये उपाय आयातित की तुलना में घरेलू उत्पादन के उपयोग को प्रोत्साहित करने की नीति पर आधारित हैं और इनके माध्यम से चीनी उत्पादों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
चीन ने भारत के इन उपायों को सब्सिडी एवं प्रतिपूरक उपायों, व्यापार से संबंधित निवेश के उपायों तथा प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (गैट) 1994 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन बताया है।
उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश किसी देश की व्यापार नीति से असहमत होने पर उसको लेकर 'परामर्श के लिए अनुरोध' करते हैं। समाधान के लिए संगठन उस पर संबंधित पक्षों के बीच पहले परामर्श की प्रक्रिया शुरू करवाता है।
संगठन के विवाद निपटान फोरम के तहत 'परामर्श की प्रक्रिया' का उद्देश्य संबंधित पक्षों को आपस में चर्चा कर के मामले का हल खोजने का अवसर प्रदान करना होता है ताकि मुकदमा आगे न बढ़ाना पड़े। परामर्श के लिए 60 दिन का समय दिया जाता है और आपस में सहमति न बनने पर शिकायतकर्ता किसी समिति के जरिये विवाद पर निर्णय कराये जाने का अनुरोध कर सकता है।
भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की हैं। इनमें एक योजना उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (पीएलआई एसीसी) भी है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में एसीसी बैटरियों के लिए विशाल पैमाने पर विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना को प्रोत्साहित करना है, जिसमें अधिकतम घरेलू मूल्यवर्धन प्राप्त करने पर ज़ोर दिया जायेगा।
इसी तरह सरकार वाहन और वाहनों के कल-पुर्जे के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना ("पीएलआई ऑटो योजना") और इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना ("ईवी यात्री कार योजना") भी चला रही है। ये कार्यक्रम "मेक इन इंडिया" पहल को आगे बढ़ाते हैं ताकि दुनिया भर से निवेश आकर्षित किया जा सके और घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत किया जा सके। इसका उद्देश्य भारत के औद्योगिक परिदृश्य को बदलना और वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में देश की स्थिति को आकार देना है।
भारत सरकार का कहना है कि पिछले दो वर्षों में नीतिगत ध्यान जानबूझकर केवल क्षमता वृद्धि से हटकर सिस्टम डिजाइन की ओर बढ़ गया है। नीलामी में अब ऊर्जा भंडारण या अधिकतम बिजली आपूर्ति वाली नवीकरणीय ऊर्जा वाली योजनाओं का जोर दिख रहा है।
भारत में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (बीईएसएस) को ग्रिड और परियोजना दोनों स्तरों पर एकीकृत किया जा रहा है, जिससे एक नये बाजार का उदय हो रहा है। घरेलू स्तर पर विनिर्माण, उत्पादन से सम्बद्ध प्रोत्साहन योजना, घरेलू सामान के उपयोग की शर्त, शुल्क नीति, वस्तु के मॉडल और विनिर्माताओं की स्वीकृत सूची (एएलएमएम) के कार्यान्वयन और पूंजीगत उपकरणों पर शुल्क छूट के माध्यम से आयात निर्भरता कम हो रही है तथा औद्योगिक क्रियाओं का विस्तार हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि चीन हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए यंत्र उपकरण तथा वाहनों के कल-पुर्जों का एक बड़ा विनिर्माता और निर्यातक है। कई देशों को शिकायत है कि चीन अपनी जरूरत से अधिक विनिर्माण क्षमता का उपयोग विश्व बाजार में वर्चस्व स्थापित करने के लिए भी करता है।
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