नयी दिल्ली , अक्टूबर 01 -- भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) सदस्य देशों (आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड) के बीच ऐतिहासिक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) बुधवार को लागू हुआ और संबंधित पक्षों ने कहा कि यह समझौता उनके बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

समझौते के संबंध में जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। ईएफटीए सदस्य देश सामूहिक रूप से वस्तु और सेवा व्यापार, दोनों में वैश्विक अग्रणी देशों में शुमार हैं।

भारत और ईएफटीए सदस्य देशों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद लगभग 5.4 लाख करोड़ डॉलर है, जो गहन एकीकरण के लिए आधार प्रदान करता है।

राजधानी में इस उपलक्ष में आज शाम एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम "समृद्धि शिखर सम्मेलन" का आयोजन किया गया, जिसकी मेजबानी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने की। ईएफटीए का प्रतिनिधित्व स्विट्जरलैंड के विदेश और आर्थिक मामलों की रसचिव हेलेन बुडलिगर आर्टिडा; आइसलैंड के विदेश मंत्रालय में विदेश व्यापार और आर्थिक मामलों के महानिदेशक राग्नार क्रिस्टजंसन; लिकटेंस्टीन के विदेश कार्यालय की उप निदेशक क्रिस्टीन लिंग; भारत में नॉर्वे की राजदूत मे-एलिन स्टेनर; और ईएफटीए के उप महासचिव मार्कस श्लागेनहोफ ने किया।

इस कार्यक्रम में सभी पक्षों के व्यापारिक क्षेत्र के कई प्रतिनिधि भी शामिल थे ।

दोनों पक्षों ने कहा है कि यह समझौता व्यावसायिक जुड़ाव, शुद्ध विनिर्माण और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में सह-उत्पादन के साथ-साथ पूर्वानुमानित गतिशीलता और योग्यताओं को परस्पर मान्यता के माध्यम से सेवाओं का विस्तार करने में भी मदद करेगा।

इस अवसर पर वक्ताओं ने पंद्रह वर्षों में भारत में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश जुटाने तथा दस लाख प्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन में सहायता करने, तथा वितरण की निगरानी के लिए निवेश सुविधा तंत्र बनाने के साझा उद्देश्यों का स्वागत किया।

वाणिज्य मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि टीईपीए का लागू होना ईएफटीए देशों और भारत के बीच संबंधों को प्रगाढ़ बनाने, पुल बनाने और व्यापार एवं निवेश को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक ठोस कदम है।

सहमति के अनुसार दोनों पक्ष मानकों पर सहयोग और नियामक संवाद के माध्यम से, कुल व्यापार का विस्तार करके और वस्तुओं, सेवाओं और निवेश में मूल्य-श्रृंखला एकीकरण को मज़बूत करके संतुलित और टिकाऊ परिणामों की प्राप्ति के लिए प्रयास करेंगे।

इस समझौते से व्यापक और दीर्घकालिक लाभ प्राप्त होंगे, जिनमें अधिक लचीली और बेहतर एकीकृत आपूर्ति श्रृंखलाएँ, व्यापार और निवेश प्रवाह में वृद्धि, नए रोज़गार के अवसर और सतत आर्थिक विकास शामिल हैं। यह बेहतर बाज़ार पहुँच प्रदान करता है और सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करता है, जिससे भारतीय और ईएफटीए व्यवसायों के लिए बढ़ते बाज़ारों में अपने परिचालन का विस्तार करना आसान हो जाता है।

इस समझौते का उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच निवेश के अवसरों को सुगम बनाना और बढ़ावा देना भी है, जिससे भारतीय और ईएफटीए व्यवसायों के लिए नवाचार, विस्तार और समृद्धि का वातावरण तैयार हो सके। दोनों पक्षों ने ध्यान दिलाया कि वस्तुओं के व्यापार में समय के साथ लगातार वृद्धि हुई है और पिछले दशक में सेवाओं का व्यापार लगभग दोगुना हो गया है । दोनों पक्ष कुल द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि करने का प्रयास करेंगे।

भारत-ईएफटीए टीईपीए पर 10 मार्च 2024 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए। यह साझेदारी लचीली और विश्वसनीय वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण और विश्वसनीय साझेदारों के रूप में उनके बीच संबंधों का विस्तार करने की दिशा में दोनों पक्षों के प्रयासों के अनुरूप है।

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