न्यूयार्क/नयी दिल्ली, सितम्बर 27 -- भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के त्रिपक्षीय मंत्री स्तरीय आयोग ने संयुक्त राष्ट्र विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मौजूदा भू-राजनीतिक वास्तविकताओं के अनुरूप महत्वाकांक्षी, व्यापक और गहन सुधारों का आह्वान किया है। तीनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौजूदा सत्र में ही सुधारों के मॉडल पर वार्ता शुरू करने तथा निश्चित समय-सीमा में ठोस परिणाम के प्रयासों को तेज करने का आग्रह किया है।

आयोग ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की और कहा कि आतंकवाद पर दोहरे मानदंडों को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

विदेश मंत्रालय ने शनिवार को यहां बताया कि न्यूयार्क में शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र से इतर हुई इस बैठक में भारत के विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर, ब्राजील के विदेश मंत्री माउरो विएरा और दक्षिण अफ्रीका की महिला और युवा मामलों की मंत्री सुश्री सिंडीसिवे चिकुंगा ने हिस्सा लिया।

आयोग ने संयुक्त राष्ट्र, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में महत्वाकांक्षी, व्यापक और गहन सुधारों का आह्वान किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 109 के अनुसार मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा की भी मांग की जिससे कि संस्थाओं को समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं के अनुकूल बनाया जा सके और जलवायु परिवर्तन, सामाजिक-आर्थिक असमानता, ऊर्जा परिवर्तन, डिजिटलीकरण और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रभावित करने वाले अन्य उभरते मुद्दों जैसी नई वैश्विक चुनौतियों का समाधान किया जा सके।

आयोग ने सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए भी समर्थन व्यक्त किया जिससे यह अधिक लोकतांत्रिक, समावेशी, अधिक वैध, अधिक कुशल और अधिक प्रभावी बन सके तथा समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित कर सके। उन्होंने सुरक्षा परिषद में अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों की स्थायी और अस्थायी सदस्यता दोनों श्रेणियों में भागीदारी बढाने पर जोर दिया । तीनों मंत्रियों ने अफ्रीकी देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी उपस्थिति की वैध आकांक्षा के साथ-साथ ब्राजील और भारत की सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटें प्राप्त करने की वैध आकांक्षाओं के लिए भी अपना समर्थन व्यक्त किया।

उन्होंने वैश्विक शासन संस्थाओं में तत्काल और व्यापक सुधार के लिए दृढ़ समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि निर्णय लेने वाली संस्थाओं, प्रक्रियाओं और संरचनाओं में विकासशील तथा अल्पविकसित देशों की सार्थक भागीदारी बढाई जानी चाहिए जिससे कि संयुक्त राष्ट्र में अधिक प्रतिनिधिक, अधिक वैध और अधिक प्रभावी बहुपक्षीय प्रणाली का निर्माण हो।

इस संदर्भ में तीनों मंत्रियों ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता में गतिरोध पर निराशा व्यक्त की, जो अब तक भविष्य के लिए समझौते में निर्दिष्ट चर्चाओं के लिए एक समेकित मॉडल तैयार करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि इस समेकित मॉडल में सुरक्षा परिषद की सदस्यता की दोनों श्रेणियों में विस्तार के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के एक महत्वपूर्ण बहुमत द्वारा व्यक्त समर्थन प्रतिबिंबित होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि परिणामोन्मुखी प्रक्रिया की ओर बढ़ने का समय आ गया है और सुरक्षा परिषद में शीघ्र व्यापक सुधार के उद्देश्य से 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान औपचारिक रूप से एक समेकित मॉडल पर आधारित वार्ता शुरू करके इस मुद्दे पर एक निश्चित समय सीमा के भीतर ठोस परिणाम प्राप्त करने के प्रयासों को दोगुना करने का आग्रह किया।

तीनों मंत्रियों ने पहलगाम में आतंकवादी हमले में नागरिकों की भीषण हत्या की कड़ी निंदा की और आतंकवाद के सभी रूपों तथा अभिव्यक्तियों को बिना शर्त अस्वीकार करने की पुष्टि करते हुए आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता का आग्रह किया। उन्होंने आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानदंडों को खारिज कर दिया और जोर देकर कहा कि सभी आतंकवाद विरोधी उपायों को अंतर्राष्ट्रीय कानून का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। उन्होंने इस क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय समन्वयकारी भूमिका को रेखांकित किया और संयुक्त राष्ट्र महासभा के ढांचे के भीतर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक सम्मेलन के समापन के महत्व को दोहराया। उन्होंने वित्तीय खुफिया जानकारी के वैध और प्रभावी आदान-प्रदान को सुनिश्चित करते हुए, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने की आवश्यकता पर बल दिया। मंत्रियों ने अल-कायदा, आईएसआईएस/दाएश, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), अन्य प्रॉक्सी समूहों और उनके सहायकों सहित सभी संयुक्त राष्ट्र सूचीबद्ध आतंकवादियों और आतंकवादी संस्थाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया। मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को शीघ्र पारित कराने के लिए संयुक्त प्रयासों को तेज़ करने का संकल्प दोहराया।

तीनों मंत्रियों ने यूक्रेन में संघर्ष के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से तनाव कम करने और सीधी बातचीत को बढ़ावा देने का आह्वान किया, ताकि अंतर्राष्ट्रीय कानून और बहुपक्षवाद के अनुरूप शांति स्थापित की जा सके।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इज़राइल-फ़िलिस्तीन संघर्ष का न्यायसंगत और स्थायी समाधान केवल शांतिपूर्ण तरीकों से ही हासिल किया जा सकता है। यह आत्मनिर्णय के अधिकार सहित फ़िलिस्तीनियों के वैध अधिकारों को पूरा करने पर निर्भर करता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासभा के प्रासंगिक प्रस्तावों तथा अरब शांति पहल सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित दो राज्य समाधान के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई।

तीनों मंत्रियों ने कब्जा किये गये पश्चिमी तट पर इज़राइली संप्रभुता थोपने की योजनाओं और पूर्वी यरुशलम सहित पश्चिमी तट पर बस्तियों की गतिविधियों में तेज़ी लाने संबंधी भड़काऊ बयान पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने दोहराया कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत बस्तियाँ अवैध हैं और किसी भी प्रकार की बस्तियों की गतिविधि को रोका और बदला जाना चाहिए।

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