बेंगलुरु, सितंबर 30 -- कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य में चल रहे सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण के विरोध में भारतीय जनता पार्टी पर "मनुवादी विचारधारा" को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि यह विचारधारा धन, अवसर और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित रखना चाहती है, जिससे गरीब, पिछड़े समुदाय और महिलाएं अवसरों से वंचित रहें।

श्री सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया पर जारी एक विस्तृत बयान में कहा, "मनुवादी विचारधारा का निर्देश है कि धन, अवसर और प्रतिनिधित्व एक ही हाथों में केंद्रित रहना चाहिए। गरीब, गरीब ही रहें, पिछड़े, पिछड़े ही रहें, महिलाएं अवसरों से वंचित रहें और जातियों व समुदायों के बीच असमानता बनी रहे। दुर्भाग्यवश, भाजपा नेताओं के भीतर यही मनुवादी मानसिकता गहराई से समायी हुयी है।"उन्होंने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग स्थायी आयोग द्वारा आयोजित यह सर्वेक्षण कर्नाटक के सात करोड़ निवासियों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति को कवर करने वाला एक व्यापक प्रयास है। उन्होंने कहा, "यह सर्वेक्षण किसी एक जाति या धर्म तक सीमित नहीं है। यह किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी के पक्ष में है।" इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक समानता हासिल करना और समाज के सभी वर्गों के लिए निष्पक्ष अवसर सुनिश्चित करना है।

श्री सिद्धारमैया ने बताया कि सर्वेक्षण के माध्यम से सरकार दलितों, पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यक समुदायों के साथ-साथ अगड़ी जातियों के गरीब और वंचित वर्गों की स्थिति को समझ सकेगी।

श्री सिद्धारमैया ने बीजेपी की असंगत रुख की आलोचना करते हुए कहा कि बिहार और तेलंगाना में जाति-आधारित सर्वेक्षण बिना किसी विरोध के हुए हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने भी जाति जनगणना शुरू की है। उन्होंने कर्नाटक भाजपा नेताओं को चुनौती दी कि वे स्पष्ट करें कि क्या वे केंद्र सरकार की जनगणना का भी विरोध करते हैं या केवल राज्य के सर्वेक्षण को रोक रहे हैं।

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