गांधीनगर , अक्टूबर 15 -- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को गुजरात में गांधीनगर स्थित प्रेक्षा विश्व भारती ध्यान केंद्र में आचार्य महाश्रमण से भेंट की।
श्री भागवत ने श्री महाश्रमण को वंदन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्य ने इस अवसर पर कहा कि हम सन् 2021 में नागपुर में आरएसएस के मुख्यालय गए थे। मोहनजी भागवत आज आए हैं। प्रायः प्रतिवर्ष आपके आगमन का क्रम रहता है। इतने बड़े व्यक्तित्व हैं, फिर भी हर साल हमारे यहां पदार्पण होता है, यह आपकी उदारता है। ऐसे व्यक्तित्व जो चिंतनशील हों, मनीषी हों, ज्ञानी हों, जिनका प्रभाव हो, जिनके भीतर परोपकार की भावना हो ऐसे व्यक्तियों के पथदर्शन से दूसरों का भला भी हो सकता है। खूब धार्मिक-आध्यात्मिक सेवा करते रहें।
श्री मोहन भागवत ने अपने अभिभाषण में कहा कि मैं सर्वप्रथम परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी को वंदन करता हूं। मैं प्रतिवर्ष आपकी सन्निधि में पहुंचता हूं तो यह मेरी उदारता से भी ज्यादा यह बात है कि आपके पास आने से मेरी बैटरी चार्ज हो जाती है। हम लोग समाज में राष्ट्र की भलाई का कार्य करते हैं। राष्ट्रीय चारित्र के निर्माण का कार्य करते हैं। राष्ट्रीय चरित्र के साथ-साथ व्यक्तिगत चारित्र भी होना बहुत आवश्यक है। इन दोनों का आधार नैतिकता है और नैतिकता का आधार अध्यात्म है। केवल भौतिकता में तो केवल जीवन जीना होता है। आपस में सौहार्द भावना नहीं होने से हिंसा होती है। मैं सब में और सब मुझमें है तो हिंसा रूक सकती है। सद्भावना, नैतिकता को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। हमारे समाज की परंपराएं पंच महाव्रतों से बड़ी निकटता के साथ जुड़ी हुई हैं। आज लोगों की स्थिति बदल गई है। नहीं तो कोई मांगने वाला आ जाए तो उसे खाली हाथ नहीं लौटाना, उसे मुट्ठी भर भी अनाज अवश्य देना चाहिए। यह संस्कार बच्चों को भी दिया जाता है।
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