भागलपुर , नवंबर 05 -- बिहार में दूसरे चरण में 11 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में भागलपुर जिले की सात सीटों में से चार सीटों कहलगांव,पीरपैंती (सुरक्षित), गोपालपुर और नाथनगर में विभिन्न दलों ने अपने विधायकों को बेटिकट कर दिया है, इनमें से दो विधायक निर्दलीय चुनावी अखाड़े में उतर आये हैं और अपनी ही पूर्ववर्ती पार्टी के साथ अन्य प्रत्याशियों को चुनौती दे रहे हैं।

भागलपुर जिले में विधानसभा की कुल सात सीटें हैं, जिनमें से सुल्तानगंज और गोपालपुर में जनता दल यूनाईटेड (जदयू) तथा बिहपुर, पीरपैंती एवं कहलगांव सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कब्जे में है, वहीं भागलपुर में कांग्रेस और नाथनगर में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का कब्जा है।

कहलगांव सीट से भाजपा के विधायक पवन कुमार यादव बेटिकट कर दिये गये हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सीटों के तालमेल के तहत यह सीट जदयू को मिली है। जदयू ने यहां दिग्गज कांग्रेस नेता सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश को उम्मीदवार बनाया है। महागठबंधन के मुख्य घटक कांग्रेस ने प्रवीण सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है, वहीं महागठबंधन के ही घटक राजद ने रजनीश भारती को प्रत्याशी बनाया है, जो झारखंड के मंत्री संजय यादव के पुत्र हैं।इस सीट पर कांग्रेस और राजद के प्रत्याशियों के चुनावी समर में उतर जाने से जदयू उम्मीदवार को फायदा मिल सकता है। वहीं भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज पवन कुमार यादव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी समर में उतर आये हैं और अपनी पूर्ववर्ती पार्टी के उम्मीदवार को चुनौती दे रहे हैं।वर्ष 2020 में भाजपा के पवन कुमार यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी शुभानंद मुकेश को पराजित किया था।कहलगांव सीट पर बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत सदानंद सिंह का वर्चस्व रहा है। उन्होंने इस सीट पर नौ बार जीत दर्ज की है। बिहार में तीन ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक नौ बार जीत दर्ज की है, इनमें सदानंद सिंह के अलावा दिवंगत रमई राम और हरिनारायण सिंह शामिल हैं। कहलगांव सीट पर जदयू उम्मीदवार के सामने अपने दिवंगत पिता की परंपरागत सीट को अपने पाले में करने के साथ ही खुद को साबित करने की भी चुनौती है। इस सीट पर 13 उम्मीदवार चुनावी रण में डटे हैं।

पीरपैंती (सुरक्षित) सीट से भाजपा ने विधायक ललन कुमार को बेटिकट कर दिया है। भाजपा ने यहां मुरारी पासवान को उम्मीदवार बनाया है, जबकि राजद ने यहां राम बिलास पासवान पर दांव लगाया है। वर्ष 2020 में भाजपा के ललन कुमार ने राजद के राम विलास पासवान को पराजित कर दिया था। बिहार में कभी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का गढ़ माने जाने वाले पीरपैंती (सुरक्षित) सीट पर वर्ष 1972 से 1995 तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के दिग्गज नेता अंबिका प्रसाद का कब्जा रहा। इसके बाद कांग्रेस, राजद एवं भाजपा के प्रत्याशी इस सीट पर काबिज हुए।इस सीट पर 11 उम्मीदवार चुनावी रण में उतरे हैं।

गोपालपुर विधानसभा सीट पर काबिज चार बार के जदयू विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल को बेटिकट कर दिया गया है। जदयू ने यहां पूर्व सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल को उम्मीदवार बनाया है। महागठबंधन में सीटों के तालमेल के तहत यह सीट विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को मिली है। वीआईपी ने यहां प्रेम सागर को प्रत्याशी बनाया है।जदयू से टिकट नहीं मिलने से नाराज गोपाल मंडल निर्दलीय चुनावी अखाड़े में उतर आये हैं और मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं। वर्ष 2020 के चुनाव में जदयू के गोपाल मंडल ने राजद उम्मीदवार शैलेश कुमार को मात दी थी। इस सीट पर 11 उम्मीदवार चुनावी रण में उतरे है।

बुनकर बहुल नाथनगर सीट से राजद ने विधायक अली अशरफ सिद्दीकी को बेटिकट कर दिया है। राजद ने यहां शेख जियाउल हसन को उम्मीदवार बनाया है। राजग में सीटों के तालमेल के तहत यह सीट लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को मिली है। लोजपा रामविलास ने यहां मिथुन कुमार को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। वर्ष 2020 में राजद उम्मीदवार श्री सिद्दिकी ने जदयू के लक्ष्मीकांत मंडल को पराजित किया था। इस सीट पर 15 उम्मीदवार चुनावी रणभूमि में अपना जोर दिखा रहे हैं।

विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला के केन्द्र बाबा की नगरी के रूप में प्रसिद्ध भागलपुर जिले के सुल्तानगंज सीट से जदयू ने विधायक ललित नारायण मंडल को प्रत्याशी बनाया है, कांग्रेस ने यहां ललन कुमार को चुनावी अखाड़े में उतारा है। वर्ष 2020 में जदयू के श्री मंडल ने कांग्रेस के ललन कुमार को कड़े मुकाबले में पराजित कर दिया था। इस बार भी इन दोनों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। इस सीट पर 14 प्रत्याशी चुनावी रणभूमि में डटे हुये है।

मिनी राजस्थान के नाम से मशहूर भागलपुर सीट से कांग्रेस ने विधायक अजीत शर्मा को चुनावी समर में उतार दिया है। भाजपा ने यहां रोहित पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 2020 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजीत शर्मा ने भाजपा उम्मीदवार रोहित पांडेय को मात दी थी। इस बार भी इन दोनों प्रत्याशियों के बीच चुनावी अखाड़े में मुकाबला देखने को मिलेगा। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अश्विनी चौबे ने लंबे समय तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। श्री चौबे ने वर्ष 1995 ,2000, 2005 फरवरी, 2005 अक्टूबर और 2010 में जीत हासिल की थी। वर्ष 2014 में श्री चौबे के बक्सर से सांसद बनने के बाद रिक्त हुई इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अजीत शर्मा ने जीत हासिल की। इसके बाद अजीत शर्मा ने 2015 और 2020 में भी इस सीट पर जीत दर्ज की। इस बार कांग्रेस के अजीत शर्मा यहां चुनावी चौका जड़ने की कोशिश में लगे हुये हैं। इस सीट से 12 प्रत्याशी चुनावी दंगल में किस्मत आजमा रहे हैं।

बिहपुर विधानसभा सीट पर भाजपा ने विधायक कुमार शैलेन्द्र कुमार को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है, वीआईपी ने यहां जदयू छोड़कर आई अपर्णा कुमारी मंडल पर दांव लगाया है। वर्ष 2020 में भाजपा के कुमार शैलेन्द्र ने राजद उम्मीदवार पूर्व सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल को पराजित किया था। बुलो मंडल ने इस सीट पर वर्ष 2000, 2005 फरवरी और 2010 में जबकि उनकी पत्नी वर्षा रानी ने वर्ष 2015 में जीत दर्ज की है। इस सीट पर 10 उम्मीदवार चुनावी रणभूमि में हुंकार भर रहे हैं।

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