बैतूल , नवम्बर 22 -- भरण-पोषण आदेश की सात वर्षों तक लगातार अवहेलना करने पर आमला न्यायालय ने शुक्रवार को एक व्यक्ति को एक वर्ष साधारण कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह कार्रवाई घरेलू हिंसा एवं महिला संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 31 के तहत की गई है। बताया जा रहा है कि जिले में भरण-पोषण आदेश न मानने पर यह पहला मामला है, जिसमें आरोपी को सीधे कारावास की सजा दी गई है।
मामला वर्ष 2010 का है। पत्नी ने स्वयं और अपने दो बच्चों के लिए भरण-पोषण की मांग को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप था कि पति ने बिना तलाक लिए दूसरी शादी कर ली और परिवार को आर्थिक सहायता देने से इंकार करता रहा। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कुशाग्र अग्रवाल की अदालत में सुनवाई के बाद आदेश पारित किया गया।
अदालत ने वर्ष 2010 से प्रभावी आदेश में पत्नी और बच्चों के लिए कुल 10 हजार रुपये मासिक भरण-पोषण निर्धारित किया था। इसमें 5 हजार रुपये सीआरपीसी की धारा 125 और 5 हजार रुपये घरेलू हिंसा अधिनियम के प्रावधानों के तहत थे। आरोपी ने 2018 में आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, लेकिन अपील खारिज हो गई। इसके बावजूद उसने सात साल तक एक भी किस्त जमा नहीं की।
न्यायालय ने इसे संरक्षण आदेश का गंभीर उल्लंघन मानते हुए आरोपी को एक वर्ष की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने जुर्माने की पूरी राशि पीड़िता को देने के निर्देश दिए हैं। पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता राजेंद्र उपाध्याय के अनुसार आमला न्यायालय का यह अपनी तरह का पहला निर्णय है जिसमें भरण-पोषण आदेश की अवमानना पर सीधे कारावास की सजा दी गई है।
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