नयी दिल्ली , अक्टूबर 01 -- उद्योग एवं वित्त बाजार के विशेषज्ञों ने भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार को घोषित द्वैमासिक समीक्षा को सुधार का एक महत्वपूर्ण वक्तव्य बताते हुए इसकी सराहना की है। इसमें नीतिगत ब्याज दर को 5.5 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार रखते हुए बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और कारोबार करने में आसानी के लिए कई महत्वपूर्ण पहलों की घोषणा की गयी है।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष सी.एस. सेट्टी ने इन पहलों को एक ऐसा नीतिगत वक्तव्य बताया है जो ब्याज दरों से आगे बढ़ने का एक प्रमाणिक संदेश देता है। श्री सेट्टी ने कहा,"आरबीआई का नीतिगत वक्तव्य बाज़ार सुधारों की शुरुआत और ब्याज दरों से आगे बढ़ने की दिशा में एक आधिकारिक वक्तव्य है।"उन्होंने कहा कि जोखिम आधारित जमा बीमा प्रीमियम की व्यवस्था की ओर बढ़ने से मज़बूत बैंकों के मुनाफ़े में उल्लेखनीय सुधार होगा। इसी तरह विशिष्ट कर्जदारों से संबंधित नियमों को वापस लेने और भारतीय बैंकों को देश में विलय एवं अधिग्रहण के लिए कर्ज देने की छूट से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने वाले फैसले से बैंकों से ऋण प्रवाह में वृद्धि होगी।

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र(आईएफएससी) में भारतीय निर्यातकों के विदेशी मुद्रा खातों से धन देश में लाने और व्यापारिक लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा परिव्यय के लिए समय-सीमा का विस्तार, साथ ही आरबीआई के निर्यात डेटा प्रोसेसिंग और मॉनिटरिंग सिस्टम(ईडीपीएमएस) और आयात डेटा प्रोसेसिंग और मॉनिटरिंग सिस्टम (आईडीपीएमएस)पोर्टलों में समाधान प्रक्रियाओं का सरलीकरण स्वागत योग्य कदम है क्योंकि इनसे निर्यात व्यापार में आसानी होगी।

भारतीय स्टेट बैंक चेयरमैन ने कहा कि सीमा पार लेनदेन में रुपये के बेहतर उपयोग की दिशा में उठाये गये कदम स्वीकार्यता के संदर्भ में व्यापक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करेंगे और मध्यम अवधि में मुद्रा परिदृश्य में सुधार होगा।

एलएंडटी फाइनेंस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुदीप्त रॉय ने कहा कि आरबीआई गवर्नर के सभी घरेलू नीतियों - राजकोषीय, मौद्रिक और नियामक - को विकसित भारत के लक्ष्यों के अनुरूप बनाने के संदेश ने बाजार का ध्यान अल्पकालिक बाहरी चुनौतियों से ध्यान हटाकर घरेलू और मध्यम अवधि की आर्थिक क्षमता पर केंद्रित कर दिया है।

केयरएज रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक, संजय अग्रवाल ने कहा, "आरबीआई ने कई नियामक बदलावों की घोषणा की है, जिनमें से कुछ ऋणों पर ब्याज दरों के निर्धारण और समायोजन के ढाँचे में महत्वपूर्ण बदलाव करते हैं। इन बदलावों से मौद्रिक नीति हस्तांतरण की दक्षता में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसका अर्थ है कि जब आरबीआई अपनी मानक ब्याज दरों में कमी करेगा, तो बैंक और वित्तीय संस्थान इन लाभों को उधारकर्ताओं तक तेज़ी से पहुँचा सकेंगे। परिणामस्वरूप, उधारकर्ताओं को कम ईएमआई या अपने ऋणों पर कुल ब्याज भुगतान में कमी का अनुभव हो सकता है।"स्मॉलकेस के निवेश प्रबंधक और ग्रोथ इन्वेस्टिंग के संस्थापक नरेंद्र सिंह ने कहा कि आरबीआई की नवीनतम नीति एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाती है। इसमें आंतरिक मजबूती और बाहरी जोखिमों, दोनों को स्वीकार करते हुए दरों में स्थिरता बनाए रखना, विकास अनुमानों को ऊंचा करना और मुद्रास्फीति के पूर्वानुमानों को नीचे की ओर संशोधित किया जाना, वित्त वर्ष 2025- 26 के लिए सतर्क आशावाद का संकेत देता है।

उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा,"फिक्की, आरबीआई द्वारा वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत करने से उत्साहित है, जो अर्थव्यवस्था के अंतर्निहित जुझारूपन और हालिया नीतिगत पहलों, विशेष रूप से जीएसटी के युक्तिकरण के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।"उन्होंने कहा, ' हम बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने, ऋण प्रवाह बढ़ाने, निर्यातकों के लिए व्यापार करने में आसानी में सुधार लाने और रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को आगे बढ़ाने के लिए आरबीआई द्वारा घोषित अतिरिक्त उपायों का भी स्वागत करते हैं।

श्री अग्रवाल ने कहा, "हमें विश्वास है कि आरबीआई समय पर उपायों के साथ वृद्धि को समर्थन देना जारी रखेगा, जिसमें अगले नीतिगत वक्तव्य में रेपो दर में संभावित कटौती भी शामिल है।"इंजीनियरिंग निर्यातकों के निकाय ईईपीसी इंडिया के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने कहा कि हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-26 के शेष भाग के दौरान प्रमुख नीतिगत दर में कमी की जाएगी ताकि कारोबारियों के लिए ऋण की लागत कम हो सके।

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