भुज , नवंबर 21 -- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि भारत की सुरक्षा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का एक ही लक्ष्य रहा है।

श्री शाह ने आज यहां बीएसएफ के हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा,"पिछले छह वर्षों में सीमा सुरक्षा बल ने न केवल देश की जनता, बल्कि पूरे विश्व को यह मानने के लिए मजबूर किया है कि जब तक बीएसएफ है, दुश्मन भारत की एक इंच भूमि पर नजर नहीं डाल सकता। इन जवानों ने वीरता, दक्षता के साथ और प्राणों की भी परवाह किए बगैर, अपने प्राणों की आहूति देकर फर्स्ट रेस्पोंडेंट होने की जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया है, जो देश के गृह मंत्री के तौर पर मेरे लिए बहुत गौरव और अभिमान की बात है। पूरा देश आपकी वीरता को सलाम करता है, आपकी दक्षता पर अटूट भरोसा करता है और देश की रक्षा करने के आपके अटूट संकल्प के कारण चैन की नींद सोता है, जो किसी भी बल के लिए गौरव का विषय है।"केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अब तक सीमा सुरक्षा बल के 2,013 बहादुर जवानों ने देश की सीमाओं को अखंड एवं सुरक्षित रखते हुए अपने प्राणों की सर्वोच्च आहुति दी है। न केवल सीमा-रक्षा में, बल्कि संयुक्त राष्ट्र के अनेक शांति मिशनों में तथा देश के भीतर उत्पन्न कितनी ही आपात स्थितियों में, चाहे आतंकवाद का मुकाबला करना हो या चाहे नक्सलवाद के उन्मूलन के राष्ट्रीय लक्ष्य को साकार करना हो, बीएसएफ के जवानों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने सदा कर्तव्य को सर्वोपरि मानते हुए आगे बढ़कर काम किया है। इसी का परिणाम है कि आज देश की पूर्वी तथा पश्चिमी सीमाएँ अटल, अडिग और पूर्णतः सुरक्षित हैं। इसका सबसे बड़ा श्रेय बीएसएफ के वीर जवानों को जाता है।

उन्होंन कहा कि कच्छ की यह वीर भूमि अदम्य साहस का प्रतीक है। सदियों से प्रतिकूल मौसम और परिस्थितियों के बावजूद कच्छवासियों ने जुझारूपन से इस क्षेत्र को संवारा और विकास की ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। सातवें दशक से अब तक हुए हर आक्रमण का सबसे मजबूत प्रतिरोध कच्छ की जनता ने किया है, जिसका साक्षी पूरा देश है। अनेक युद्धों में सेना और बीएसएफ के साथ कदम से कदम मिलाकर कच्छ की जनता ने अभूतपूर्व भूमिका निभाई है।

श्री शाह ने कहा कि यहाँ की वीरांगनाओं ने युद्ध के दौरान एयरस्ट्रिप की मरम्मत करके और उसे तुरंत चालू करके देश को सुरक्षित रखने में बड़ी भूमिका निभाई है। कच्छ की धरती ने शताब्दी का सबसे विकट भूकंप झेला है। वह कई ऐसी जगहों पर गए हैं, जहां उन्हें दशकों बाद भी भूकंप से हुई क्षति के निशान मिलते हैं। हमारे कच्छ की जनता के परिश्रम के कारण कच्छ न केवल भूकंप से उबरा है, बल्कि पहले से 100 गुना अधिक सुंदर और विकसित भी हुआ है, जो कच्छ की जनता की जिजीविषा का उदाहरण है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित