अहमदाबाद, सितंबर 28 -- गुजरात में अहमदाबाद के शाहीबाग स्थित बीएपीएस स्वामिनारायण मंदिर में रविवार को आयोजित एक ऐतिहासिक समारोह में, बीएपीएस के विद्वान संत महामहोपाध्याय भद्रेशदास स्वामी को के. के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में "सरस्वती सम्मान 2024" पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
यह कार्यक्रम बीएपीएस और के. के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आज की शाम आयोजित किया गया ।उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान 2022 में प्रकाशित उनकी संस्कृत पुस्तक 'स्वामिनारायण सिद्धांत सुधा' के लिए दिया गया। यह पुरस्कार संस्कृत भाषा में किसी कृति के लिए 22 वर्षों के बाद दिया गया है। साहित्य, कला और शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित के. के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा यह पुरस्कार भारतीय संविधान द्वारा सूचीबद्ध 22 भाषाओं में से किसी एक में सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए दिया जाता है।
गुजरात एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने इस अवसर पर कहा,"आज के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा यह सम्मान प्रदान किए जाने के अवसर पर, मैं भद्रेशदास स्वामी और इस पुस्तक को नमन करता हूँ। भद्रेशदास स्वामी द्वारा दार्शनिक परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रस्थानत्रयी और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गीता में दिए गए मार्गदर्शन को आज स्वामीनारायण संप्रदाय द्वारा जन-जन तक पहुँचाया जा रहा है।
के. के. बिड़ला फाउंडेशन के निदेशक डॉ. सुरेशभाई ऋतुपर्ण ने स्वागत प्रवचन में कहा," आज इस पावन अवसर पर, मैं प्रमुख स्वामी महाराज को स्मरण करता हूँ और मुझे सौभाग्य मिला कि मैं जोधपुर गया और परम पूज्य महंत स्वामी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। सरस्वती सम्मान देश का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार है। महामहोपाध्याय पूज्य भद्रेश दास स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक "स्वामि नारायण सिद्धांत सुधा" को 34वाँ सरस्वती सम्मान प्रदान किया गया है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि माँ सरस्वती उन्हें सदैव इसी प्रकार लेखन हेतु प्रेरित करती रहें।"दिल्ली सुप्रीम कोर्ट, पंजाब, हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और इस पुरस्कार की चयन समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार सीकरीने कहा," आज साहित्य जगत का सर्वोच्च सम्मान एक संत को दिया जा रहा है और मुझे समझ नहीं आ रहा कि यह सम्मान देकर हम उनका सम्मान कर रहे हैं या संत के माध्यम से इस पुरस्कार का सम्मान कर रहे हैं। बहुत गहन चिंतन के बाद, 22 भाषाओं की पुस्तकों का विश्लेषण करने के बाद, इस पुस्तक का चयन किया गया है क्योंकि यह पुस्तक सभी पुस्तकों में सर्वोच्च और अद्वितीय थी।
डॉ. भद्रेशदास स्वामी ने यह सम्मान अपने गुरुओं के आशीर्वाद और शास्त्रों के शाश्वत ज्ञान को समर्पित करते हुए कहा," एक चंचल बालक की मुलाक़ात एक संत से होती है और संत उस बालक को संस्कृत पढ़ने की प्रेरणा देते हैं और संस्कृत पढ़ाना शुरू करते हैं, लेकिन उस बालक की चंचलता भी जारी रहती है। वह संत उस बालक की बहुत शिकायत भी करते थे और वह संत पुण्य कर्म भी करते थे। उस संत ने उस बालक को शिक्षा दी और संत ने उस बालक को एक भाष्य लिखने के लिए प्रेरित किया और आज उसी बालक को सम्मानित करने के लिए भारत सरकार के राज्यपाल और सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त जस्टिस यहां उपस्थित हैं।
यह समारोह गुजरात और महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, दिल्ली सुप्रीम कोर्ट, पंजाब, हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और इस पुरस्कार की चयन समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार सीकरी; के. के. बिड़ला फाउंडेशन के निदेशक डॉ. सुरेशभाई रितुपर्णा; लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक, बीएपीएस के वरिष्ठ संतों - अक्षरधाम, गांधीनगर के मुख्य संत पूज्य आनंदस्वरूप स्वामी और बीएपीएस हिंदू मंदिर, अबू धाबी के मुख्य संत पूज्य ब्रह्मविहारी स्वामी की उपस्थिति में आयोजित किया गया।
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