वाराणसी , दिसंबर 15 -- भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्राइफेड) हर वर्ष आदि बाजार नाम से राज्य स्तर पर प्रदर्शनी-सह-बिक्री कार्यक्रम का आयोजन करता है। ट्राइफेड क्षेत्रीय कार्यालय उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश इस वर्ष ट्राइफेड में एम्पैनल्ड जनजातीय कारीगरों के लिए यह कार्यक्रम काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के मधुबन उद्यान में 15 से 23 दिसंबर तक आयोजित कर रहा है।
आदि बाजार का उद्घाटन प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी, कुलपति द्वारा सोमवार को बीएचयू के मधुबन उद्यान में किया गया। यह आदि बाजार कार्यक्रम पहली बार वाराणसी में आयोजित किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से आए लगभग 40 से अधिक जनजातीय उद्यमी अपने उत्पादों जैसे बनारसी वस्त्र, चंदेरी साड़ी, लकड़ी के हस्तशिल्प, रेशम व ऊनी वस्त्र, वन व कृषि उत्पाद आदि की उचित दरों पर बिक्री कर रहे हैं।
इस अवसर पर कुलपति ने ट्राइफेड के जनजातीय उत्पादों के विपणन एवं विज्ञापन (मार्केटिंग एवं एडवर्टाइजिंग) से संबंधित गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। ट्राइफेड के अधिकारियों ने कुलपति को बताया कि वर्तमान में वाराणसी के सारनाथ, संकट मोचन एवं एयरपोर्ट क्षेत्र में ट्राइफेड के बिक्री एवं प्रदर्शन स्थल संचालित हैं, साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में भी ऐसे ही एक स्थायी स्थान की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए यह बात कुलपति के समक्ष रखी गई। कार्यक्रम पद्मश्री डॉ. रजनी कान्त की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न हुआ।
आज आरंभ हुए आदि बाजार में कुलपति ने विभिन्न स्टॉलों का भ्रमण किया और गोंड, थारू एवं भोटिया जनजातियों सहित विभिन्न जनजातीय समुदायों द्वारा निर्मित उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे कारीगरों से संवाद किया। स्टॉलों में प्रदर्शित उत्पादों में जल कुंभी से बने उत्पाद (बैग, पेंसिल स्टैंड, टोपी), ट्वाइन सामग्री से बने उत्पाद, जूट उत्पाद, मैक्रेमे वस्तुएं, सी बकथॉर्न औषधीय उत्पाद, बनारसी वस्त्र, चंदेरी साड़ियां, लकड़ी की हस्तशिल्प वस्तुएं, रेशमी एवं ऊनी परिधान, हर्बल उत्पाद तथा कृषि उत्पाद शामिल थे, जो जनजातीय कला एवं सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं। इस दौरान कुलपति ने कारीगरों से विभिन्न उत्पादों के भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग की स्थिति पर भी चर्चा की।
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