पटना, सितंबर 27 -- वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का राज्य के आठ और महागठबंधन का दो जिलों में खाता नही खुला था।

वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) , जनता दल यूनाईटेड (जदयू), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल थी। इस चुनाव में राजग गठबंधन में सीटों के तालमेल के तहत भाजपा को 110, जदयू को 115, वीआईपी को 11 और हम को सात सीटें मिली थी। इस चुनाव में नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने महज 43 सीटों पर जीत हासिल की,जबकि भाजपा ने 74, वीआईपी और हम ने चार-चार सीटें जीती।

महागबंधन में सीटों के तालमेल के तहत राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 144, कांग्रेस ने 70, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा माले) ने 19, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने 06 और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 04 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे। इस चुनाव में राजद को 75 जबकि कांग्रेस को 19 सीटों पर जीत मिली जबकि भाकपा माले ने 12, भाकपा और माकपा ने दो-दो सीटें अपने नाम की।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजों में राजग को बहुमत तो मिल गया लेकिन कई ऐसे भी इलाके हैं,जहां उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस चुनाव में राजग 125 सीटों के साथ सत्ता बचाने में कामयाब रहा, लेकिन इस सियासी संग्राम में राज्य के आठ जिलो में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा। राजग का खाता शिवहर, किशनगंज, बक्सर, कैमूर, रोहतास, अरवल, जहानाबाद और औरंगाबाद जिले में नहीं खुला था। वहीं महागठबंधन को सुपौल और जमुई जिले में किसी भी सीट पर जीत नसीब नही हुई।

शिवहर जिले की एकमात्र शिवहर विधानसभा सीट पर राजग को मात मिली थी। वहीं किशनगंज की सभी चार सीट बहादुरगंज,ठाकुरगंज,किशनगंज और कोचाधामन में राजग प्रत्याशियों को हार मिली। इसी तरह बक्सर जिले की सभी चार सीट ब्रहमपुर, बक्सर, डुमरांव और राजपुर (सुरक्षित) में भी राजग प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। वहीं कैमूर जिले की सभी चार सीट रामगढ़ृ, मोहनियां (सुरक्षित), भभुआ और चैनपुर में राजग उम्मीदवारों को पराजय मिली।

रोहतास जिले की सभी सात सीटें चेनारी (सुरक्षित), सासाराम, करहगर, दिनारा, नोखा,डेहरी और काराकाट में राजग उम्मीदवारों को शिकस्त मिली। वहीं अरवल जिले की सभी दो सीट अरवल और कुर्था में राजग प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह जहानाबाद की सभी तीन सीटों जहानाबाद ,घोसी और मखदुमपुर (सुरक्षित) में भी राजग प्रत्याशियों को हार मिली। वहीं औरंगाबाद की सभी छह सीट गोह,ओबरा,नवीनगर,कुटुंबा (सुरक्षित), औरंगाबाद और रफीगंज में राजग उम्मीदवारों को शिकस्त मिली। कुल मिलाकर इन आठ जिलों की 31 सीटों पर राजग को पराजय का सामना करना पड़ा।इन सीटों में से जदयू को 16 सीटों शिवहर, ठाकुरगंज,कोचाधामन, डुमरांव,राजापुर (सुरक्षित),चेनारी (सुरक्षित), सासाराम, करहगर, दिनारा, नोखा,कुर्था, जहानाबाद,घोसी,ओबरा, नवीनगर और रफीगंज पर हार मिली। वहीं भाजपा को 11 सीटों किशनगंज, बक्सर,रामगढ़, मोहनियां (सुरक्षित),भभुआ ,चैनपुर,डेहरी,काराकाट, अरवल, गोह और औरंगाबाद में हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह वीआईपी को बहादुरगंज और ब्रहमपुर जबकि हम को मखदुमपुर और कुटुबा (सुरक्षित) में पराजय मिली।

इसी तरह सुपौल जिले की सभी पांच सीट निर्मली,पिपरा, सुपौल,त्रिवेणीगंज (सुरक्षित) और छातापुर में महागठबंधन प्रत्याशियों का खाता नहीं खुला था। वहीं जमुई जिले की सभी चार सीटें सिकंदरा (सुरक्षित), जमुई, झाझा और चकाई सीट पर महागठबंधन प्रत्याशियों को हार मिली थी। इस तरह दो जिलों की नौ सीटों पर महागठबंधन को शिकस्त का सामना करना पड़ा इन सीटों में राजद को सात सीटों निर्मली, पिपरा, त्रिवेणीगंज ,छातापुर,जमुई, झाझा और चकाई में जबकि कांग्रेस को सुपौल और सिकंदरा (सुरक्षित) में हार का सामना करना पड़ा।

राजग और महागठबंधन के बीच हुयी लड़ाई में किशनगंज जिले की दो सीटों बहादुरगंज और कोचाधामन में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम),के उम्मीदवारों ने बाजी अपने नाम कर ली। इसी तरह कैमूर जिले की चैनपुर सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रत्याशी मोहम्मद जमा खान को जीत मिली।हालांकि बाद में वह जदयू में शामिल हो गए और नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बने।

इस चुनाव में एआईएमआईएम और बसपा ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जीडीएसएफ) में शामिल था। इस गठबंधन में उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा),समाजवादी जनता दल (डेमोक्रेटिक),सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) भी शामिल थी।जमुई जिले की चकाई सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी सुमित सिंह ने बाजी अपने नाम की थी। सुमित सिंह वर्तमान में नीतीश कुमार की सरकार में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री हैं।

बिहार में वर्ष 2020 में 135 सीटों पर अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने वाली चिराग पासवान की पार्टी (लोजपा) ने जदयू की सभी 115 सीटों के साथ भाजपा, वीआईपी और हम के विरूद्ध भी कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। लोजपा के इस रूख से जदयू को भारी नुकसान हुआ। उसके कारण जदयू इस बार 43 सीटों पर ही सिमट गई। लोजपा ने भाजपा, वीआईपी और हम को तीन सीटों पर हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।हालांकि इस चुनाव में लोजपा महज एक सीट अपने नाम कर पायी। इसी तरह उपेन्द्र कुशवाहा के नेतृत्व में बनी (जीडीएसएफ) ने भी इस चुनाव में राजग को काफी नुकसान पहुंचाया था। हालांकि 99 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली श्री कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का खाता तक नहीं खुला।

पिछली बार विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान के अलग- अलग लड़ने के कारण वोटों का बंटवारा हुआ, जिसका बड़ा फायदा महागठबंधन को मिला था. लेकिन, इस बार परिस्थितियां बदल गई हैं और चिराग और कुशवाहा ,राजग के साथ आ गए हैं। ऐसे में इस बार भाजपा- जदयू के आधारवोट में सेंधमारी का तो खतरा नहीं है।

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