, Oct. 13 -- विषय प्रवेश करते हुए प्रोफेसर रामचंद्र चंद्रेश ने कहा कि पत्रकारिता में सोशल मीडिया पर अफवाहों और फेक न्यूज के प्रसार को रोकना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन मीडिया में समाचारों की गुणवत्ता बनाए रखना और मात्रा को नियंत्रित करना भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। पत्रकारिता के लिए नए व्यावसायिक मॉडल विकसित करने की आवश्यकता है जो टिकाऊ और स्वतंत्र पत्रकारिता को समर्थन दे सकें।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के पूर्व सचिव नदीम अहमद काजमी ने कहा कि समाचार संस्थानों पर पूंजीपतियों का कब्जा हो गया है जिस कारण हम पत्रकारों को भी समाचार के चयन में बहुत चीजों का ध्यान रखना पड़ता है।

वरिष्ठ पत्रकार विष्णु कुमार झा ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में बड़े बदलाव आ चुके है। आप त्वरित गति से समाचार को संपादित कर सकते है। पत्रकारिता रूपी दर्पण का डिजाइन बदलते युग के साथ बदलता जा रहा है पर उसकी आत्मा वही है। उन्होंने कहा कि रेडियो ने आवाज दिया, टेलीविजन ने चेहरा दिया, अब इंटरनेट ने पंख लगा दिया।

पूर्व विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर प्रेम मोहन मिश्र ने कहा कि पहले पत्रकारिता एक मिशन था जो समाज मे बदलाव लाने के लिए काम करता था अब पत्रकारिता एक व्यापार हो चुका है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार डॉ. कृष्ण कुमार ने कहा कि कलम की शक्ति में जो ऊर्जा है वो कही नही है, यदि आप कोई खबर अखबार में पढ़ते है वह बाद में इतिहास का रूप ले लेगा पर टीवी चैनल आदि आदि पर जो खबर आती है उसका कोई स्वरूप नहीं होता है। वह केवल सूचना दे सकता है। उसका इतिहास में कोई योगदान नहीं हो सकता है।

संगोष्ठी में संदीप विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. समीर कुमार वर्मा और डॉ. अजित कुमार चौधरी ने भी अपने विचार रखे।कार्यक्रम का प्रारंभ स्वर्गीय रामगोविंद प्रसाद गुप्ता के तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया गया।

संगोष्ठी में आगत अतिथियों का स्वागत पत्रकार प्रदीप गुप्ता ने किया, जबकि संचालन डॉ. ए.डी.एन.सिंह ने किया । धन्यवाद ज्ञापन पत्रकार प्रमोद कुमार गुप्ता ने किया।

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