, Oct. 24 -- महापर्व छठ पर प्रसाद बनाने में गेहूं, चावल और गुड़ का विशेष महत्व है।दुकानदारों ने बताया कि महापर्व छठ के लिए गेहूं विशेष रूप से मध्य प्रदेश से और गुड़ उत्तर प्रदेश और सीतामढ़ी एवं भागलपुर से मंगाया गया है।अलग साइज के हिसाब से सूप की कीमत 50 रुपए से लेकर 100 रुपये तक है। वहीं अलग-अलग साइज में दउरा 250 रुपये से लेकर 500 तक के हैं।छठ पर्व पर पवित्रता के लिए मिट्टी के चूल्हा की मांग रहती है। छठ पर्व निष्ठा और पवित्रता के लिए जाना जाता है। छठ व्रती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर ही नहाय- खाय का प्रसाद बनाती है। इसके साथ ही मिट्टी के चूल्हे पर ही छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है।मिट्टी के चूल्हे 150 से 250 रुपये की कीमत में उपलब्ध है।नारियल 100 रुपये जोड़ा, अर्घ्य के लिए ढक्कन 10 रुपये प्रति पीस, दीया एक रुपये प्रति पीस, ढक्कन वाले दीये 25 रुपये, कलश 15 से 30 रुपये तक,धूपदानी 15 से 25 रुपये में उपलब्ध हैं।छठ पूजा की बांस की डलिया में फल सब्जियों को सजाकर घाट पर ले जाते हैं फिर सूर्य अर्घ्य देने की परंपरा है। डलिया में कच्चे फल के अलावा,रोली, चंदन, सिंदूर, छापा भी होता है, जिसे अर्घ्य में इस्तेमाल किया जाता है।

पूजा की अन्य वस्तुएं भी बाजार में उपलब्ध हैं। इनमें सिंदूर, मौली धागा, धूप, घी, रूई, कमल गोटा, बादाम, इलायची, काजू, आलता पत्ता, अखरोट,सौंफ, लौंग, किशमिश, जायफल, माला भी मिल रहे हैं। पीतल एवं कांसे से बने सूप की भी खरीददारी हो रही है। बर्तन दुकानों में छोटे-बड़े सभी आकार के सूप उपलब्ध हैं। बाजार में पीतल से बने 600 रुपये से लेकर एक हजार रुपए तक सूप उपलब्ध है। खरना का प्रसाद आम की लकड़ियों से जलाये जाने वाले चूल्हे पर बनाने की परंपरा है। इसलिए महापर्व में आम की लकड़ियों का महत्व बढ़जाता है। आम की लकड़ी 40-90 रुपए प्रति किलो बेची जा रही है।

छठ पूजा में फल और सब्जियों का विशेष महत्व होता है और इसीलिए मंडियों एवं बाजारों में दुकानदार अलग से छठ पूजा की सभी सामग्री के साथ फल और सब्जियां बेच रहे हैं। वहीं, कच्ची हल्दी, कच्चा अदरक, कच्चा नारियल, केला, आंवला,सीताफल,मूली हर चीज से बाजार गुलजार है। खरीददार फलों और सब्जियों की खरीददारी करने पहुंच रहे हैं। छठ के लिए जरूरी फल और सब्जी महंगी भी बिक रही हैं। छठ में इस्तेमाल होने वाली सब्जियों एवं फलों के दाम बढ़ गए हैं। सब्जी मंडी में कद्दू 30 से 70 रुपए प्रति पीस बिक रहे हैं।

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