कोहिमा , नवंबर 10 -- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को सभी राजनीतिक दलों से विधायी संस्थाओं के सुचारू और व्यवस्थित संचालन को सुनिश्चित करके उनकी गरिमा बनाए रखने की अपील की।
श्री बिरला ने आज यहां नागालैंड विधानसभा में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए), भारत क्षेत्र, ज़ोन-III के वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर संवाददाताओं से कहा कि सुनियोजित व्यवधान न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमज़ोर करते हैं, बल्कि नागरिकों को सार्थक विचार-विमर्श और जवाबदेही से भी वंचित करते हैं। एक दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से सदन की कार्यवाही का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन के दौरान सार्थक विचार-विमर्श से पूर्वोत्तर की विधायिकाओं को अधिक सशक्त, जवाबदेह और कुशल बनाने के उद्देश्य से ठोस कार्य योजनाएँ तैयार होंगी।
इससे पहले सीपीए सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष इस बात पर ज़ोर दिया कि विधानमंडलों को जनमत को नीति में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानमंडलों का दायित्व मात्र कानून बनाने तक ही सीमित नहीं है-बल्कि उन्हें लोगों की आकांक्षाओं और सरोकारों को कार्यान्वयन-योग्य नीतियों का रूप भी देना है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि व्यापक विकास केवल सक्रिय जनभागीदारी से ही संभव है और सच्ची प्रगति तब होती है जब नागरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रत्यक्ष ढंग से शामिल होते हैं।
लोकतंत्र को नागरिकों के निकट लाने में नयी तकनीकों और नवाचारों के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, " अधिकतर विधानमंडल अब पेपरलेस बन गए हैं और डिजिटल प्रणालियों को अपना रहे हैं। भारत के लोग ही लोकतंत्र की नींव हैं और हमारे संविधान-निर्माताओं ने इसी सिद्धांत को सर्वोपरि रखा ।" उन्होंने ज़ोर दिया कि पारदर्शिता और जवाबदेही लोकतान्त्रिक शासन का आधार होना चाहिए।
श्री बिरला ने सभी विधायी निकायों से विधायी प्रक्रिया में व्यापक जन भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने , नागरिक-अनुकूल डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की सुविधा प्रदान करने और बेहतर पहुँच हेतु समुचित तंत्र विकसित करने जैसे उपायों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "जब किसी राज्य में जनमत नीति का आधार बनता है, तो वह राज्य निरंतर और सतत विकास प्राप्त करता है।"लोकसभा अध्यक्ष ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विधानमंडलों में हो रहे उल्लेखनीय डिजिटल परिवर्तन की सराहना की और इसे आधुनिक और पारदर्शी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने विशेष रूप से नागालैंड विधान सभा के पूरी तरह से पेपरलेस विधानमंडल बनने पर इसकी प्रशंसा की और इसे भारत में डिजिटल शासन का एक अग्रणी मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की डिजिटल पहल न केवल दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाती है, बल्कि विधायी कार्यप्रणाली को अधिक सुलभ और जन-केंद्रित भी बनाती है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप पूर्वोत्तर को विकास के केन्द्र के रूप में स्थापित करने तथा भारत की एक्ट ईस्ट नीति की धुरी बनाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तर-पूर्वी राज्यों के समग्र विकास के लिए व्यापक कार्य योजना की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने इस क्षेत्र की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्य योजना में प्राकृतिक आपदाओं सहित जलवायु संबंधी उभरते जोखिमों का विशेष रूप से समाधान किया जाना चाहिए, जिनका क्षेत्र की आजीविका और अवसंरचना पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
श्री बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि सीपीए भारत क्षेत्र, ज़ोन-III के दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान पूरे क्षेत्र में लोकतांत्रिक संस्थाओं को मज़बूत करने, विधायी प्रथाओं को बेहतर बनाने और शासन में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए ठोस सुझाव प्राप्त होंगे।
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