पटना , नवंबर 21 -- बापू टावर संग्रहालय ने शुक्रवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और विचार पर केन्द्रित 'सुनो कहानी' श्रृंखला का आयोजन किया।

'सुनो कहानी' श्रृंखला के अंतर्गत मुंशी प्रेमचंद की अमर कृति ईदगाह के पाठ का आयोजन बापू टावर के सभागार में किया गया। प्रख्यात रंगकर्मी एवं अभिनेता विनोद कुमार ने प्रेमचंद की कहानी के पाठ का आयोजन किया। बापू टावर के निदेशक विनय कुमार और रंगकर्मी विनोद कुमार सहित अन्य लोगों के द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ 'सुनो कहानी' के कार्यक्रम की विधिवत शुभारंभ किया गया।

इस अवसर पर बापू टावर के पदाधिकारी, प्रख्यात कलाकार, कई जाने-माने बुद्धिजीवी और गर्दनीबाग बालिका उच्च विद्यालय एवं शहीद राजेंद्र प्रसाद सिंह उच्च विद्यालय के स्कूली बच्चे बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

निदेशक विनय कुमार ने रंगकर्मी विनोद कुमार सहित अन्य लोगों का स्वागत किया। उन्होंने 'सुनो कहानी' कार्यक्रम पर अपने विस्तृत अनुभव साझा करते हुए कहा कि हर किसी के पास अपनी कहानियां होती हैं और रोचकता के साथ कहानियों को व्यक्त भी करते हैं। छोटी-छोटी चीजों से कहानी बनती है। उन्होंने जापानी कहानी 'तोत्तो-चान' के बारे में स्कूली बच्चों को भी बताया। इसके बाद विनोद कुमार ने 'सुनो कहानी' श्रृंखला के अंतर्गत ईदगाह का पाठ किया। उन्होंने कहानी पाठ के माध्यम से काफी रोचकता के साथ ईदगाह के सभी पात्रों के बारे में बताया।

श्री कुमार ने जब ईदगाह कहानी का पाठ शुरू किया तो लगा जैसे- हामिद, मोहसिन, नूरा, सलीम सब सशरीर सभागार में आ गए हों। कहानी का पाठ जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया, वैसे-वैसे बच्चों में कहानी को लेकर उत्सुकता बढ़ती गई।

विनोद कुमार की आवाज में कभी हामिद की मासूम जिद, कभी दादी अमीना की बूढ़ी आँखों की चिंता, तो कभी चिमटे की खनखनाहट गूँज उठी। बच्चे एकदम खामोश, साँसें रोके सुनते रहें और जब हामिद ने चिमटा दादी को थमाया तो सभागार में तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कई आँखें छलक पड़ीं।कहानी पाठ के बाद बच्चों को कहानी सुनाने की तकनीक पर रंगमंचीय प्रशिक्षण भी विनोद कुमार के द्वारा दिया गया।

विनोद कुमार ने बच्चों को स्टोरी टेलिंग की बारीकियाँ सिखाईं ।आवाज का उतार-चढ़ाव, चेहरे के हाव-भाव, ठहराव का जादू। कार्यक्रम में प्रिया, कोमल, साक्षी कुमारी और अन्य बच्चों ने ईदगाह का इतना प्यारा नाट्य-मंचन किया कि दर्शक बार-बार तालियाँ बजाने पर मजबूर हो गए। कुछ बच्चों ने अपनी लिखी छोटी-छोटी कहानियाँ भी सुनाईं, तो कुछ ने हामिद और दादी के रेखा-चित्र बनाकर सबको हैरान कर दिया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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