नयी दिल्ली , अक्टूबर 09 -- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय यहां चार दिवसीय जनजातीय कला प्रदर्शनी आयोजित कर रहा है जिसमें 17 राज्यों के 50 से अधिक आदिवासी कलाकार बाघ संरक्षण, आवास संरक्षण के साथ प्रकृति तथा इन समुदायों के बीच सहजीवी संबंधों पर विविधतापूर्ण कलाकृतियों का प्रदर्शन करेंगे।

आजादी के अमृत महोत्सव पर इस चार दिवसीय 'मौन संवाद- हाशिये से केंद्र तक' नाम से आयोजित इस प्रदर्शनी में 30 से अधिक बाघ अभयारण्यों से प्रकृति के साथ आदिवासियों के सहजीवन पर 250 चित्रों और शिल्पों का संग्रह प्रस्तुत किया जाएगा। यह वार्षिक प्रदर्शनी है और इस बार इसका चौथा आयोजन संकला फाउंडेशन द्वारा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण-एनटीसीए तथा वन और पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से किया जा रहा है।

प्रदर्शनी का मकसद वनों, विशेषकर बाघ अभयारण्य और उसके आसपास की आदिवासी आबादी तथा अन्य वनवासियों के संरक्षण संबंधी सिद्धांतों के बारे में जागरूकता फैलाना है। प्रदर्शनी में आदिवासी समुदायों की कलाकृतियों को प्रदर्शित कर शहरवासियों को बाघ संरक्षण, आवास संरक्षण और प्रकृति तथा इन समुदायों के बीच सहजीवी संबंधों से जुड़े विभिन्न मुद्दों के बारे में अधिक जानने का अवसर मिलेगा। यह इन समुदायों के लिए वैकल्पिक आजीविका के अवसरों की भी खोज करेगी जिससे वन संसाधनों पर उनकी निर्भरता कम होगी और मानव-वन्यजीव संबंधों को अधिक मज़बूत किया जा सकेगा।

वन और पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार यह प्रदर्शनी 9 से 12 अक्टूबर तक चलेगी जिसमें देशभर के 30 से ज़्यादा बाघ अभयारण्यों से 250 चित्रों और शिल्पों संग्रह की विविधता दर्शकों के लिए प्रदर्शित की जायेगी। इनमें कला प्रेमी, संरक्षणवादी, राजनयिक, नीति निर्माता, प्रकृति प्रेमी और छात्रों को शामिल किया गया है। आदिवासी समुदायों ने वनों को आजीविका के स्रोत और पवित्र विरासत के रूप में सम्मान दिया है और स्थायी प्रथाओं, रीति-रिवाजों और परंपराओं के माध्यम से उनका संरक्षण किया है और वे वनवासी पारंपरिक ज्ञान, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पारिस्थितिक ज्ञान के संरक्षक रहे हैं इसलिए उनकी कला और जीवनशैली को इस प्रदर्शनी के माध्यम से प्रदर्शित किया जा रहा है।

प्रदर्शनी के दूसरे दिन 10 अक्टूबर शुक्रवार को गैर-लाभकारी संस्था सांकला फाउंडेशन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल और भारतीय उद्योग परिसंघ-सीआईआई के सहयोग से 'आदिवासी कलाएं और भारत का संरक्षण लोकाचार: जीवंत ज्ञान' विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा जिसका उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे।

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