जगदलपुर, सितम्बर 29 -- छत्तीसगढ़ में विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व के अंतर्गत सोमवार को बेल पूजा की परंपरा विधिवत संपन्न हुई। इस अनूठी रस्म में ग्राम सरगीपाल स्थित उस दुर्लभ बेलवृक्ष की पूजा की गई, जिसमें एक साथ दो फल लगते हैं।

परंपरा के अनुसार, बस्तर राजपरिवार के सदस्य गाजे-बाजे के साथ सरगीपाल पहुंचे, जहां ग्रामीणों के साथ हल्दी खेली गई। राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने बताया कि जोड़ी बेल फल की पूजा दशकों पुरानी परंपरा के अनुसार संपन्न की गई और इन फलों को दंतेश्वरी मंदिर में विराजित किया गया।

इस रस्म के साथ ही बेल न्योता विधान भी पूरा किया गया, जिसके जरिए देवियों को दशहरा पर्व में शामिल होने का आमंत्रण दिया जाता है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, यह परंपरा चालुक्य वंश के एक राजा की कथा से जुड़ी है, जिन्हें यहां देवी मणिकेश्वरी और दंतेश्वरी के दर्शन हुए थे। जोड़ी बेल फल को इन्हीं दोनों देवियों का प्रतीक माना जाता है।

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