कोलकाता , नवंबर 20 -- केंद्रीय चुनाव आयोग (ईसीआई) पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान फर्जी मतदाताओं की पहचान करने के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस) आधारित सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करेगा। एआई प्रणाली मतदाता डाटाबेस में तस्वीरों का विश्लेषण करके फर्जी मतदाताओं की पहचान करने में मदद करेगी।
पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईओ) कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सॉफ्टवेयर फर्जी फोटो वाले मतदाता का पता लगाने के लिए 'चेहरे की पहचान ' फीचर का इस्तेमाल करेगा। अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर यूनीवार्ता को बताया, "एआई-आधारित सॉफ्टवेयर फेस रिकग्निशन फीचर के जरिए फर्जी मतदाताओं की पहचान करेगा।"अधिकारियों के अनुसार बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया जिसमें एन्यूमरेशन फॉर्म (ईएफ) बांटना, इकट्ठा करना और डिजिटाइजेशन का काम 25-26 नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद ड्राफ्ट रोल का प्रकाशन होगा। सीईओ कार्यालय के अधिकारियों ने कहा कि एआई प्रणाली उन मामलों का पता लगाने में मदद करेगी जहां एक ही फोटो का इस्तेमाल कई मतदाताओं का प्रमाणपत्र बनाने के लिए किया गया है।
विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि प्रवासी मजदूरों के नामांकन के दौरान ऐसा फर्जीवाड़ा आम बात है और उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल मरे हुए या नकली वोटरों को रजिस्टर करने के लिए किया जाता है। जबकि नेशनल पोल पैनल का मानना है कि एआई इस समस्या को रोकने में मदद कर सकता है।
अधिकारियों ने बल दिया कि केवल एआई पूरी पारदर्शिता पक्का नहीं कर सकता। बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) डोर-टू-डोर चेकिंग के लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें हर मतदाता का विवरण और तस्वीर सत्यापित करनी होगी।
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