कोलकाता , नवंबर 14 -- पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत गणना फॉर्म वितरित करने की विस्तारित समय सीमा शनिवार को समाप्त हो रही है, लेकिन राज्य में अभी भी लगभग 70 लाख फॉर्म वितरित किए जाने बाकी हैं।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अधिकारियों को विश्वास है कि लक्ष्य पूरा हो जाएगा, क्योंकि चार नवंबर को घर-घर जाकर गणना शुरू होने के बाद से दैनिक वितरण की गति स्थिर रही है।

सीईओ कार्यालय के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार रात आठ बजे तक 7.14 करोड़ फॉर्म वितरित किये जा चुके हैं, जो राज्य के कुल मतदाताओं का 93.22 प्रतिशत है। आयोग की ओर से 27 अक्टूबर को अद्यतन की गई रोल्स के अनुसार पश्चिम बंगाल में वर्तमान में 7.66 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं।

गौरतलब है कि 11 नवंबर की प्रारंभिक समय सीमा समाप्त हो गई थी और उस दिन तक लगभग 15 प्रतिशत मतदाताओं को फॉर्म प्राप्त नहीं हुए थे। इसके बाद , जिसके कारण ईसीआई ने तिथि को पहले 14 नवंबर और फिर 15 नवंबर तक बढ़ा दिया था।

राज्य में एसआईआर की प्रक्रिया अगले साल मार्च तक समाप्त हो जाएगी और तीन चरणों वाली एसआईआई के पहले चरण में फॉर्म वितरण हो रहा है। यह प्रक्रिया राज्य में 2002 के बाद पहली बार की जा रही है।

एसआईआर दिशानिर्देशों के तहत, जिन मतदाताओं के नाम या उनके माता-पिता के नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं थे, उन्हें मतदाता सूची में अपना नाम बनाए रखने के लिए 11 निर्धारित दस्तावेजों में से कोई एक जमा करना होगा। जिन लोगों की प्रविष्टियाँ 2002 में मौजूद थीं, उन्हें आयोग द्वारा निर्दिष्ट 11 पहचान दस्तावेजों में से एक प्रदान करना होगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा संशोधन की घोषणा के बाद से राज्य में इस प्रक्रिया को लेकर तीव्र राजनीतिक बहस छेड़ गयी है। तृणमूल कांग्रेस ने इस कवायद का विरोध करते हुए आरोप लगाया है कि यह राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर ( एनआरसी) जैसी प्रक्रिया शुरू करने की केंद्र सरकार की चाल है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तृणमूल के बयान का विरोध किया है और कहा कि उसका विरोध इस डर से उपजा है कि अवैध बंगलादेशी और रोहिंग्या मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाया जा सकता है। ईसीआई के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में पहले ही 7.14 करोड़ गणना फॉर्म वितरित किया जा चुका है, जो कुल मतदाताओं का 93.22 प्रतिशत है।

चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में घर-घर जाकर वितरण के लिए कुल 80,861 बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) तैनात किये हैं। उत्तर प्रदेश (79.89 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (74.41 प्रतिशत) और छत्तीसगढ़ (78.41 प्रतिशत) फॉर्म वितरकित किये गये हैं और इस तरह से भाजपा शासित ये राज्य फॉर्म वितरित करने के मामले में बंगाल से पीछे हैं, जबकि गोवा और लक्षद्वीप ने फॉर्म वितरित करने का काम पूरा कर लिया है। अधिकारियों ने कस्बा, जादवपुर, बेलेघाटा, बिधाननगर, राजारहाट-न्यू टाउन, बेहाला, महेशतला, मेटियाब्रुज, सोनारपुर, टॉलीगंज और कोसीपुर-बेलगछिया सहित 37 विधानसभा क्षेत्रों की पहचान की है, जहां फॉर्म वितरण का स्तर धीमा है। सीईओ ने बुधवार को एक समीक्षा बैठक में ईआरओ और बीएलओ को उन क्षेत्रों में प्रयास तेज करने का निर्देश दिया जहां कवरेज 75 प्रतिशत से कम है। अन्य राज्य जैसे राजस्थान (86.82 प्रतिशत), तमिलनाडु (81.37 प्रतिशत), केरल (62.40 प्रतिशत) और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (89.81 प्रतिशत) भी इस मामले में पश्चिम बंगाल से पीछे हैं।

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