कोलकाता , नवंबर 21 -- पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने शुक्रवार को अपनी नयी आउटरीच पहल जलतरंग के अंतर्गत हावड़ा की सुबह को जीवंत एवं जन-केंद्रित कार्यक्रम में बदल दिया और नदी किनारे के गांवों का दौरा किया।

राजभवन की औपचारिकता से दूर, राज्यपाल ने अपना पूरा दिन लोगों के साथ घुलने-मिलने में बिताया। सुबह-सुबह बाबूघाट से जलतरंग स्टीमर को हरी झंडी दिखाने के बाद वह हुगली के पश्चिमी तट की ओर रवाना हुए और नदी किनारे बसी बस्तियों का अवलोकन किया।

हावड़ा में नजीरगंज फेरी घाट पहुंचने पर श्री बोस ने जल मार्ग से यात्रा करने के बजाय एक साधारण ई-रिक्शा का सहारा लिया और गांव की संकरी सड़कों से गुजरते हुए उन लोगों का अभिवादन किया जो उनसे मिलने के लिए अपने घरों से बाहर निकले थे।

नजीरगंज में उन्होंने ग्रामीणों के साथ बातचीत की तथा ग्रामीण आजीविका और सार्वजनिक सेवाओं के बारे में उनकी चिंताओं को सुना और उन्हें आश्वासन दिया कि उनके मुद्दों का समाधान किया जाएगा। उन्होंने सड़क किनारे एक छोटी सी दुकान पर जाकर गर्म चाय और एक प्लेट चॉप का आनंद लिया तथा ग्रामीणों और दुकानदारों के साथ हल्के-फुल्के पल बिताए।

राज्यपाल की अनौपचारिक, बेबाक बातचीत, मुस्कुराना, बातें करना और यहां तक कि तस्वीरें खिंचवाना भी, लोगों को भावविभोर कर दिया। उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखने से पहले पड़ोस के एक मंदिर में पूजा-अर्चना भी की।

राज्यपाल के दिन के कार्यक्रम में संकरेल और बाद में बजबज में इसी तरह की गतिविधियां शामिल है, जहां उनके छात्रों से मिलने, स्कूलों, भारतीय संग्रहालय, विक्टोरिया मेमोरियल हॉल, एनसीएसएम और ईजेडसीसी आदि का दौरा करने और स्थानीय समुदायों के साथ अपनी सहभागिता जारी रखने की उम्मीद है।

अशांति के दौरान संवेदनशील क्षेत्रों में पहुंचने और लोगों के मुद्दों को प्रत्यक्ष रूप से समझने के लिए बिना किसी पूर्व सूचना के बाजारों में घूमने के लिए जाने जाने वाले राज्यपाल बोस की जलतरंग पहल का उद्देश्य पश्चिम बंगाल में नदी किनारे रहने वाली आबादी के साथ उनके सीधे संबंध को गहरा करना है।

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