ढाका , दिसंबर 27 -- बंगलादेश के प्रमुख अल्पसंख्यक अधिकार समूह, बंगलादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद (एकता परिषद) ने कहा है कि 12 फरवरी को होने वाले चुनावों से पहले बंगलादेश के धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों में भय का माहौल है।
समूह ने सरकार से आग्रह किया कि चुनावों के दौरान उनकी चरमपंथियों से सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
परिषद के कार्यवाहक महासचिव मनिंद्र कुमार नाथ ने कहा, "स्थानीय या राष्ट्रीय चुनावों में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को अक्सर किसी उम्मीदवार के पक्ष या विपक्ष में मतदान करने मात्र से ही अनावश्यक धमकियों, हमलों और विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। यदि सरकार और चुनाव आयोग उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहते हैं, तो अल्पसंख्यक मतदान केंद्रों पर जाने से हतोत्साहित हो सकते हैं।"ढाका के सीआईआरडीएपी सभागार में आयोजित 'अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की वर्तमान स्थिति और अपेक्षाएं' शीर्षक वाली गोलमेज सम्मेलन में श्री नाथ ने कहा, "कुछ समूह आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं और धर्म का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। अंतरिम सरकार के कार्यकाल के दौरान भी, देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदायों को सांप्रदायिक हिंसा का सामना करना पड़ा है।"सांप्रदायिक हिंसा के बढ़ते मामलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "पिछले साल चार अगस्त से 31 दिसंबर तक और 2025 में एक जनवरी से 30 नवंबर तक धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की क्रमशः 2,184 और 489 घटनाएं दर्ज की गईं, जैसा कि मीडिया में रिपोर्ट किया गया है।"श्री नाथ ने कहा कि अकेले दिसंबर में ही हत्या की पांच घटनाएं हुईं। इनमें से, 18 दिसंबर को मैमनसिंह के भालुका में दीपू चंद्र दास की ईशनिंदा के कथित आरोपों पर की गई बर्बर हत्या ने वैश्विक समुदाय को स्तब्ध कर दिया है।
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