नई दिल्ली, सितंबर 25 -- उच्चतम न्यायालय ने पीली मटर के आयात पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर गुरुवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 'किसान महापंचायत' द्वारा दायर याचिका पर केंद्र से अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया।
किसान संगठन की इस याचिका में दलील दी गई है कि पीली मटर के आयात से भारत के दाल उगाने वाले किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है। पीली मटर को दालों के विकल्प के रूप में माना जाता है।
पीठ ने याचिकाकर्ता की संक्षिप्त दलीलें सुनने के कहा, "हम नोटिस जारी करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसका अंतिम परिणाम यह नहीं होना चाहिए कि उपभोक्ताओं को नुकसान हो।"शीर्ष अदालत ने किसान संगठन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण से यह जांच करने को कहा कि क्या देश में दालों का पर्याप्त उत्पादन है।
याचिका में दावा किया गया है कि अत्यधिक आयात ने दाल की घरेलू कीमतों को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे किसानों की आजीविका पर विपरीत प्रभाव पर रहा है।
जनहित याचिका में कहा गया "भारत में पीली मटर की पहुंच लागत लगभग 3,500 रुपये प्रति क्विंटल है जो घरेलू स्तर पर उगाई जाने वाली दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधे से भी कम है। न्यूनतम समर्थन मूल्य लगभग 8,000 रुपये प्रति क्विंटल है। यह मूल्य असमानता भारतीय किसानों को अपनी उपज काफ़ी कम कीमतों पर बेचने के लिए मजबूर कर रही है, जिससे खेती हतोत्साहित हो रही है और घरेलू दाल उत्पादन को ख़तरा पैदा हो रहा है।"भारत ने 2024 में रिकॉर्ड 67 लाख टन दालों का आयात किया, जिसमें से पीली मटर का हिस्सा लगभग 29 लाख टन था।
याचिका में कहा गया है कि कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से बड़े पैमाने पर आयातित पीली मटर का इस्तेमाल मुख्य रूप से विदेशों में मवेशियों के चारे के रूप में किया जाता है, लेकिन यह भारतीय दालों का एक सस्ता विकल्प बन गई है।
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