बीजापुर, नवम्बर 21 -- केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) महानिदेशक ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह गुरुवार रात बीजापुर के कर्रेगुट्टा पहाड़ स्थित ताड़पाला कैम्प पहुंचे। यह कैम्प 3 नवंबर को इसी साल शुरू किया गया है। उन्होंने कैम्प में रुककर सुरक्षा हालात का जायजा लिया और तैनात जवानों से बातचीत की।

सीआरपीएफ के महानिदेशक ने जवानों का मनोबल ऊंचा करने के लिए कैंप में एक रात गुजारी। सीआरपीएफ के डीजी के साथ राज्य के स्पेशल डीजी नक्सल ऑपरेशन विवेकानंद सिन्हा पूरे समय मौजूद थे।

कैम्प में कोबरा, डीआरजी और सीआरपीएफ के जवानों से मुलाकात करते हुए उन्होंने चल रहे अभियानों की जानकारी ली। कर्रेगुट्टा में सीआरपीएफ डी.जी. के साथ स्पेशल डी.जी. नक्सल ऑपरेशन विवेकानंद सिन्हा ने भी इस कैंप पर रात गुजारी है। कैंप की जरुरतों, विपरीत परिस्थितियों आदि के बारे में स्पेशल डीजी विवेकानंद सिन्हा ने वार्ता से बात की है।

स्पेशल डी.जी. विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि यहाँ पीने के पानी की भी दिक्कत है लेकिन नक्सलवाद के खात्मे के लिए प्रण ले चुके बल के लोगों ने इस विषम परिस्थितियों के बावजूद यहां रहना स्वीकार किया है।

नक्सल रोधी कैंप जन सुविधा केंद्रों के रूप में भी काम कर रहे हैं, क्या यह कैम्प भी जन सुविधा केन्द्र होगा? इस सवाल का जवाब देते हुए स्पेशल डी.जी. ने बताया - आसपास दूर दूर (25-30 किलोमीटर) तक गाँव नहीं है, हां लेकिन फिर भी, पहली प्राथमिकता तो स्थानीय लोगों को सुविधाएं देना ही है, सुविधाओं के साथ ही सुरक्षा देना ही पुलिस सीआरपीएफ बीएसएफ और कोबरा जवानों का काम है।

जगदलपुर के वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता ने बताया, कर्रेगुट्टा कभी नक्सलियों का अभेद्य किला था, यह पहाड़ (किला) छत्तीसगढ़ तेलंगाना की सीमा पर है। बीजापुर, सुकमा जिले (छत्तीसगढ़) के इस अभेद्य किले को भेदने के लिए 21 अप्रैल से लेकर 14 मई तक स्पेशल ऑपरेशन चलाया गया था। इस ऑपरेशन में डीआरजी, सीआरपीएफ, कोबरा और एसटीएफ के जवानों ने हिस्सा लिया था। पोलित ब्यूरो, सेंट्रल कमेटी, डीके एसजेडसी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी) के साथ तेलंगाना राज्य के बड़े नक्सलियों का यह ठिकाना हुआ करता था।

यह ऑपरेशन केंद्रीय गृहमंत्रालय के आदेश पर चलाया गया था, लेकिन छत्तीसगढ के खोजी पत्रकारों ने यह खबर ब्रेक की थी कि राज्य में ऑपरेशन संकल्प 2025 के नाम से नक्सल रोधी अभियान जारी है। चूंकि यह गोपनीय ऑपरेशन इसीलिए राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस नाम के किसी भी ऑपरेशन के जारी रहने से इंकार किया था। जबकि ऑपरेशन संकल्प 21 अप्रैल से 14 मई 2025 तक चलाया गया था।

उन्होंने बताया कि माड़वी हिड़मा, दामोदर, विकास,सुजाता और आजाद जैसे बड़े नक्सलियों के यहां होने की खबर थी। इसलिए सुरक्षा बल के लोगों ने एक लंबा और बड़ा ऑपरेशन लांच किया था, इस ऑपरेशन की निगरानी दिल्ली में बैठकर सीआरपीएफ के डी.जी.ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने की थी, तो दूसरी ओर बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने जगदलपुर में बैठकर इस ऑपरेशन पर नजर रखी थी।

मनीष गुप्ता के ही मुताबिक, ऑपरेशन संकल्प 2025 को इस कदर गुप्त रखने की प्लानिंग थी कि इस ऑपरेशन के बारे में मीडिया के पूछे गए सवालों में गृहमंत्री छत्तीसगढ़ विजय शर्मा ने ऑपरेशन संकल्प नाम के किसी भी ऑपरेशन के जारी रहने से इंकार कर दिया था। इस ऑपरेशन में 22 नक्सलियों को सुरक्षाबल के जवानों ने मार गिराया था,18 नक्सलियों के शवों को बरामद किया गया था। जिनके शव मिले उनमें से 3 महिला माओवादियों के ऊपर 8-8 लाख रुपयों का ईनाम घोषित था।

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