पटना , अक्टूबर 03 -- बिहार पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने मछली पालकों को जरूरी सलाह दी है जिसमें बताया गया है कि अक्टूबर माह में मछलियों को देखभाल कैसे करनी चाहिए।
विभाग ने सलाह दी है कि मत्स्य पालक पूरक आहार का प्रयोग मछली के कुल वजन का 02 से 03 प्रतिशत की दर से करें। चूना का प्रयोग प्रति माह पीएच मान के अनुसार 15-20 किग्रा/एकड़ की दर से विशेषज्ञों की सलाह से करें और तालाब में बीमारी को रोकने के लिए बाहरी पानी (नाला का पानी) को नहीं आने दें। तालाब में कीड़ा एवं आग्रुलस के संक्रमण को रोकने के लिए विशेषज्ञों की सलाह से दवा प्रयोग करें। महीने के अंत में तालाब में जाल चलवाएं। वहीं पंगेशियस तालाब में जाल चलाना वर्जित है। पूरक आहार में 10 ग्राम नमक प्रति किलोग्राम भोजन की दर से मिलाकर माह में 10 दिन लगातार मछलियों को खिलाएं। माह में एक बार वाटर सैनिटाइजर के रूप में पोटेशियम परमैंगनेट का प्रयोग 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें। पूरक आहार देने का समय सुबह 10 बजे एवं शाम 04 बजे निर्धारित करें।
विभगा ने मछली पालकों को सलाह दी है कि तालाब का पानी अत्यधिक हरा होने पर चूना एवं रासायनिक खाद का प्रयोग बंद करें। पानी अत्यधिक हरा होने पर 800 ग्राम कॉपर सल्फेट या 20 किलोग्राम फिटकिरी प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। तालाब में मछलियों को फफूंद एवं पारासाईटिक संक्रमण से बचाने के लिए 40 किलोग्राम नमक प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। तालाब में पानी का स्तर 06 से 08 फीट के बीच में संतुलित रखें। तालाब के चारो तरफ साफ-सफाई रखें।
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