नयी दिल्ली, सितम्बर 27 -- सरकार ने 'पर्यटन और सतत परिवर्तन'की थीम पर शनिवार को विश्व पर्यटन दिवस मनाया और कहा कि विकसित भारत 2047 के मद्देनजर दृष्टिकोण ऐसे पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने पर केंद्रित होना चाहिए जिसमें हरित, समावेशी और सुरक्षित भविष्य के लिए जन भागीदार के साथ सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपदा को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने का संकल्प हो।

इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सरकार के साथ ही उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज के प्रतिष्ठित हितधारकों ने हिस्सा लिया और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने, आर्थिक विकास को गति देने और पर्यटन में लगातार प्रथाओं को आगे बढ़ाने के प्रति देश की प्रतिबद्धता को जताया।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यटन सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं है बल्कि यह आर्थिक परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समावेशन का एक मज़बूत जरिया है। विश्व के कई देशों ने यह जताया है कि पर्यटन आजीविका उत्पन्न करते हुए जैव विविधता को संरक्षित कर सकता है। उनका कहना था कि भारत में यह क्षमता है लेकिन इसे अपनी रणनीति में शामिल कर परिवहन, शहरी विकास, डिजिटल तकनीक और बुनियादी ढाँचे को एक साथ मिलकर काम करना होगा। सड़क, रेल, वायु और जलमार्गों पर निर्बाध संपर्क स्थलों को अधिक आसान बनाकर भीड़-भाड़ वाले स्थलों पर दबाव कम किया जा सकता है।

उन्होंने इस मामले में सार्वजनिक-निजी सहयोग को जरूरी बताया और कहा कि जो उद्योग निवेश को सामुदायिक भागीदारी और पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों से जोड़ेंगे तो विकसित भारत 2047 एक ऐसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में सामने आएगा जहां हरित और समावेशी पर्यटन होगा और समुदायों की भागीदारी से भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपदा को दुनिया के सामने गर्व के साथ प्रदर्शित किया जा सकेगा।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित