मुरुद , नवंबर 06 -- महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित ऐतिहासिक मुरुद जंजीरा किला प्रतिकूल समुद्री परिस्थितियों के कारण कई हफ्तों तक बंद रहने के बाद पर्यटकों के लिए फिर से खुल गया है।मुंबई से लगभग 165 किलोमीटर दक्षिण में रायगढ़ जिले के मुरुद तट पर स्थित सदियों पुराने द्वीपीय किले को बंदरगाह विभाग प्रतिकूल परिस्थितियों की वजह से एहतियातन बंद कर दिया था।

गौरतलब है कि इस किले को हर साल मानसून के दौरान एक जून से 31 अगस्त तक पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है। इस वर्ष, हालांकि मानसून के लंबे समय तक सक्रिय रहने के कारण प्रतिबंध को अक्टूबर के अंत तक बढ़ाना पड़ा। किलों को पर्यटकों के लिए खुलने में हुई देरी के कारण स्थानीय पर्यटन-आधारित व्यवसायों को अतिरिक्त नुकसान हुआ।

उच्च लहरों, तेज़ हवाओं और अशांत समुद्र की मौसम संबंधी चेतावनियों के बाद अधिकारियों ने नौका सेवाओं को निलंबित कर दिया था। बंद होने से हालांकि दूर-दराज के स्थानों से आये कई पर्यटक निराश हुए थे। अधिकारियों ने कहा था कि संभावित नाव दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

किले का संचालन संभालने वाले पुरातत्व विभाग के कर्मचारी प्रकाश घुगरे ने किले को फिर से खोलने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि अब मौसम साफ और समुद्र शांत हो गया है। नौका सेवाएं भी सुरक्षित रूप से फिर से शुरू हो गयी हैं।

श्री घुगरे ने कहा कि पर्यटकों को अब जंजीरा देखने ज़रूर आना चाहिए। किले के फिर से खुलने से मुरुड के पर्यटन क्षेत्र को राहत मिली है, जिसे लंबे समय तक बंद रहने के दौरान काफी नुकसान हुआ था। होटल, होमस्टे, नौका संचालक, खाद्य विक्रेता और स्मारिका विक्रेताओं ने गंभीर व्यवधानों की सूचना दी। मुंबई, ठाणे, पुणे, नासिक, रत्नागिरी, कोल्हापुर, सतारा और यहां तक कि महाराष्ट्र के बाहर से आने वाले कई पर्यटक बंद के दौरान निराश हुए थे। अब, साफ आसमान, शांत समुद्र और दिवाली के बाद के उत्सवी माहौल के साथ, मुरुड के समुद्र तट पर रौनक लौट आयी है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि समुद्र तट पर पर्यटकों की एक बार फिर से भीड़ उमड़ने से खुशी और ऊर्जा का माहौल लौट आया है। पर्यटन अधिकारियों का अनुमान है कि हर साल लगभग सात लाख पर्यटक जंजीरा किले को देखने आते हैं। यह महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय तटीय विरासत स्थलों में से है। दिवाली के बाद साफ हुए मौसम और बढ़ी हुई भीड़ के साथ स्थानीय हितधारकों का मानना है कि पर्यटन व्यवसाय में ज़बरदस्त पुनरुत्थान की संभावना है। एक स्थानीय होटल मालिक ने कहा, " अब जब धूप खिल गयी है और बादल छंट गये हैं, तो यहां के पर्यटन उद्योग को नयी जान मिलने की संभावना है।" ऐतिहासिक रूप से अजिंक्य किला या 'अजेय किला' के रूप में जाना जाने वाला जंजीरा प्राचीन समुद्री सुरक्षा और स्थापत्य कला का बेजोड़ प्रतीक है। इसकी मज़बूत पत्थर की किलेबंदी, द्वीप के भीतर दो मीठे पानी की झीलें और प्रसिद्ध तोप कलाल बांगड़ी पीढ़ियों से इतिहासकारों और यात्रियों को आकर्षित करती रही हैं। मुरुड तालुका के राजपुरी गांव के पास स्थित यह किला देश-विदेश के इतिहास प्रेमियों, उत्साही लोगों और प्रकृति प्रेमियों के लिए प्रमुख भ्रमण आकर्षण का केंद्र है। पुरातत्व विभाग ने नाममात्र प्रवेश शुल्क फिर से लागू कर दिया है। सोलह वर्ष और उससे अधिक आयु के आगंतुकों के लिए 25 रुपये शुल्क रखा गया है, जबकि 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को छूट दी गयी है। लेन-देन को सुगम बनाने के लिए क्यूआर कोड के माध्यम से डिजिटल भुगतान की सुविधा शुरू की गयी है।

स्थानीय निवासियों और पर्यटन हितधारकों ने किले के पिछले हिस्से में ब्रेकवाटर सुरक्षा के साथ एक नये जेटी के निर्माण की अपनी मांग को दोहराया है। उनका कहना है कि इससे साल भर पर्यटकों की पहुंच सुनिश्चित होगी और भविष्य में मौसम संबंधी व्यवधान कम से कम होंगे। नाविक और नौका संचालक ने फिर से खुलने का स्वागत किया है और इसे वित्तीय सुधार की शुरुआत बताया है। रायगढ़ जिला प्रशासन मौसम संबंधी अपडेट की बारीकी से निगरानी कर रहा है और सुरक्षा के साथ आर्थिक हितों को संतुलित करते हुए, बंदरगाह प्राधिकरण के साथ समन्वय कर बंद करने या फिर से खोलने पर समय पर निर्णय ले रहा है। मुरुड का पर्यटन उद्योग मजबूती से वापसी करता दिख रहा है। समुद्र तट पर नयी जीवंतता, अरब सागर के आकर्षण और क्षेत्र के प्रसिद्ध समुद्री भोजन के व्यंजनों के साथ भारत के सबसे प्रतिष्ठित समुद्री विरासत स्थलों में से एक में पर्यटकों की आवाजाही शुरू हो चुकी है।

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