, Dec. 17 -- शिव सेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत ने कहा कि सबसे बड़ा मुद्दा सुरक्षा का है और सरकार को बताना चाहिए कि वह कैसे सुनिश्चित करेगी कि निजी क्षेत्र के परिचालक वही सुरक्षा उपाय कैसे अपनाएंगे जो सरकारी संयंत्र उठाते हैं। उनका कहना था कि रिएक्टर का मुद्दा महत्वपूर्ण है और इसके सभी पहलुओं पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। निजी क्षेत्र को देने की बात बहुत अच्छी लगती है लेकिन यह बहुत बड़ा सुरक्षा मुद्दा है और इसे जेपीसी को भेजकर इस पर सर्व सम्मति बनाने की जरूरत है।
कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि यह नाभिकीय विधेयक बहुत खामियों से भरा हुआ है और इसकी खामियों को दूर करने के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की सख्त जरूरत है। इसमें नाभिकीय ऊर्जा को स्वच्छ बताया गया है और इस मामले में भाषा का भ्रामक इस्तेमाल हुआ है। यह तय है कि नाभिकीय ऊर्जा न तो स्वच्छ होती है और ना ही सतत होती है इसलिए सरकार को यह समझने की जरूरत है कि उसे भाषा की भ्रामकता का सहारा लेकर निजी क्षेत्र को इसके संचालन का नियंत्रण संबंधी मुद्दे पर समझौता नहीं होना चाहिए। रेडियोलाजी की सुरक्षा संबंधी गंभीरता को हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक सुरक्षा के लिहाज से बहुत सुरक्षित नहीं है। परमाणु संयंत्र में काम करने वाले श्रमिकों को अन्य कारखानों के श्रमिकों की तरह से नहीं लिया जा सकता है। विधेयक में मौसम में होने वाले बदलाव के हिसाब से सुरक्षा के उपाय नहीं हैं इसलिए उनका सुझाव है इस विधेयक पर व्यापक चर्चा के लिए इसे जेपीसी को भेजा जाना चाहिए।
भाजपा के शंकर लालवानी ने कहा कि नाभिकीय ऊर्जा का इस्तेमाल आज हर क्षेत्र में हो रहा है और उस हिसाब से यह संयंत्र भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के हिसाब से बहुत उपयोगी साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को तैयार करने में व्यापक नीति अपनाई गई और परमाणु ऊर्जा आयोग के साथ ही विभिन्न मंत्रालयों से सहमति मिलने के बाद ही सारे सुरक्षा उपायों पर गहन विचार के बाद ही यह विधेयक लाया गया है। इसमें जितनी मेगावाट की क्षमता के लिए निजी क्षेत्र सामने आएगा उसके लिए जवाबदेही तय की गयी है और निजी निवेशकों के आगे आने से ऊर्जा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन सकेगा।
शिव सेना के धैर्यशील संभाजीराव ने कहा कि इस विधेयक के साथ ही देश एक बड़ी छलांग लगा रहा है क्योंकि ऊर्जा क्षेत्र में देश को तेजी से आत्मनिर्भर बनाने की पहल शुरु हो गयी है। नाभिकीय ऊर्जा को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को याद करते हुए उन्होंने कहा कि श्री वाजपेई ने जो सपना देखा था इस विधेयक के जरिए उसको पूरा करने का काम किया जा रहा है। सदन में कई सदस्य इसकी सुरक्षा को लेकर चिंता कर रहे हैं लेकिन उनको समझना चाहिए कि कोई भी निजी संयंत्र सरकार के सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद ही अनुमति पा सकेगा और संयंत्र भले ही निजी क्षेत्र का हो लेकिन उसकी जिम्मेदारी सरकार की है। उनका कहना था कि कपड़ा उद्योग के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल हो ताकि कपड़ा उद्योग को ऊर्जा की किल्लत के कारण आगे बढ़ना का पूरा मौका मिले।
तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने कहा कि परमाणु ऊर्जा परमाणु से निकलने वाली शक्ति है जिससे परमाणु ऊर्जा बनती है और इस समय हमारे यहां 22 परमाणु संयंत्र हैं जिनमें कुंदन कुला देश का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। भारत नाभिकीय क्षेत्र में गत छह दशक से काम हो रहा है लेकिन परमाणु संयंत्र का काम पहली बार निजीकरण को यह काम दिया जा रहा है और ऐसा करना सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकता है। निजी हाथों को इसका लाइसेंस देने के लिए कठोरत्तम मानकों को नहीं रखा गया है। उनका कहना था कि निजी क्षेत्र के परमाणु संयंत्रों के निरीक्षण के लिए स्वायत्त प्रणाली होनी चाहिए ताकि इनको और ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सके।
सपा के वीरेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार सबकुछ बेचने में लगी है और अब वह अपने चहेते लोगों को परमाणु क्षेत्र में भी लाने का रास्ता तैयार किया जा रहा है। उनका कहना था कि यह खतरनाक दिशा में कदम उठाया जा रहा है इसलिए इसके लाइसेंस में किसी तरह की छूट देना गलत है और इस तरह के काम में छूट शब्द का इस्तेमाल होना ही नहीं चाहिए। उनका यह भी कहना था कि परमाणु ऊर्जा का कार्यक्रम बहुत अच्छा है इसलिए इस काम को निजी हाथों को नहीं सौंपा जा सकता है और सरकार को चाहिए कि वह विधेयक को जेपीसी को सौंपे।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित