पन्ना , नवम्बर 05 -- प्रणामी धर्मावलम्बियों के सबसे बड़े तीर्थ मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में पिछले लगभग चार सौ सालों से एक अनूठी परम्परा चली आ रही है, जो प्रकृति से प्रेम करने की सीख देती है।

शरद पूर्णिमा के ठीक एक महीने बाद कार्तिक पूर्णिमा को पृथ्वी परिक्रमा होती है, जिसमें देश के विभिन्न प्रान्तों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। प्राचीन भव्य मंदिरों के इस शहर पन्ना में प्रणामी धर्मावलम्बियों की आस्था का केंद्र श्री प्राणनाथ जी का मंदिर स्थित है, जो प्रणामी धर्म का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है।

इसी प्रणामी संप्रदाय के अनुयायी और श्रद्धालु शरद पूर्णिमा के ठीक एक माह बाद कार्तिक पूर्णिमा को देश के कोने कोने से यहां पहुंचते हैं। इसी क्रम में पन्ना में आज सुबह से पृथ्वी परिक्रमा का सिलसिला शुरू हुआ। श्रद्धालु यहाँ किलकिला नदी के किनारे व पहाड़ियों के बीचों बीच बसे समूचे पन्ना नगर के चारों तरफ परिक्रमा लगाकर भगवान श्री कृष्ण के उस स्वरूप को खोजते हैं, जो कि शरद पूर्णिमा की रासलीला में उन्होंने देखा और अनुभव किया है। अंतर्ध्यान हो चुके प्रियतम प्राणनाथ को उनके प्रेमी सुन्दरसाथ भाव विभोर होकर नदी, नालों, पहाड़ों तथा घने जंगल में हर कहीं खोजते हैं। सदियों से चली आ रही इस परम्परा को प्रणामी धर्मावलम्बी पृथ्वी परिक्रमा कहते हैं।

हजारों की संख्या में श्रद्धालु जिन्हे प्रणामी संप्रदाय में सुन्दरसाथ कहा जाता है वे नाचते गाते, झूमते और तरह - तरह के वाद्य यन्त्र बजाते हुए चलते हैं। जंगल के रास्ते से होते हुये श्रद्धालुओं की टोलियां जब प्राकृतिक व रमणीक स्थल चौपड़ा मंदिर पहुंचतीं तो यहां पर प्रकृति के साथ संबंध स्थापित करते हुये कुछ देर विश्राम कर प्रसाद आदि ग्रहण करतीं हैं और फिर अपनी अल्प थकान को मिटाकर आगे की यात्रा पर निकल पड़तीं हैं।

पृथ्वी परिक्रमा में नदी, पहाड़ और गहरे सेहा से श्रद्धालु जब जयकारे लगाते हुए गुजरते हैं, तब यह नजारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। कौआ सेहा की गहराई, चारो तरफ फैली हरीतिमा तथा जल प्रपात का कर्णप्रिय संगीत और जहाँ-तहाँ चट्टानों पर बैठकर विश्राम करती श्रद्धालुओं की टोली, सब कुछ बहुत ही मनभावन लगता है।

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