जालंधर, सितंबर 28 -- कार्डियोवास्कुलर साइंसेज अकादमी के कार्यकारी सदस्य, डॉ. नरेश पुरोहित ने रविवार को विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या को खुलासा करते हुए बताया कि पंजाब में हृदय रोग जन स्वास्थ्य हेतु गंभीर समस्या बन गया है। इस रोग के कारण प्रदेश में 35 फीसद से ज्यादा लोगों को जिंदगी गंवानी पड़ रही है।

प्रसिद्ध प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. पुरोहित ने जानकारी दी कि दिल का दौरा पड़ने से दुनिया में जितने लोग मरते हैं, उनमें से बीस फीसद मौत अकेले भारत में होती है। भारत में हृदय रोगों से मृत्यु दर काफी ज्यादा है। हमारे देश के ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरों में मृत्यु दर अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में हृदय रोग से हर एक लाख में से दो सौ लोग मर जाते हैं, जबकि शहरों में हर एक लाख लोगों में से 450 की मौत होती है। गौर करने वाली बात यह है कि भारत में होने वाली कुल मौत में 24.5 फीसद मृत्यु हृदय संबंधी बीमारियों की वजह से होती है। उन्होंने कहा कि बढ़ते शहरीकरण, सुस्त जीवन शैली, गलत खानपान, शारीरिक श्रम के अभाव और तनाव के कारण हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं। दो दशक में हृदय रोगों के मामले काफी बढ़े हैं। हाल के वर्षों में भारत के युवा इस रोग के शिकार हुए है। उन्होंने चेताया कि आगामी दस वर्षों यानी 2034 तक देश की पंद्रह फीसद आबादी को हृदय रोगों का जोखिम है।

फरीदकोट स्थित बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. पुरोहित ने बताया कि हृदय रोग से विश्व में वर्ष 1990 में जहां 1.21 करोड़ लोगों की मौत हुई, वहीं यह आंकड़ा 2021 में बढकर 2.05 करोड़ हो गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रपट में भी दिल से जुड़ी बीमारियों को मौत का सबसे बड़ा कारण बताया गया है। इस रपट के अनुसार वर्ष 2019 में विश्व में 1.79 करोड़ लोगों की मौत हृदय संबंधी बीमारियों की वजह से हुई। 30 से 40 वर्ष के लोगों में हृदय रोग का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने आगे बताया कि उच्च रक्तचाप दिल के दाैरे का प्रमुख कारण है। 'इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च' और 'नेशनल सेंटर फार डिजीज इंफार्मेटिक्स एंड रिसर्च' के हाल ही मे किए गए एक राष्ट्रीय शोध अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने के बावजूद 70 फीसद से अधिक लोग इस बारे में नहीं जानते। यह अध्ययन 10,593 वयस्कों पर आधारित था, इनमें से 28.5 फीसद लोगों का रक्तचाप उच्च पाया गया। 27.9 फीसद लोगों को अपने उच्च रक्तचाप से ग्रस्त होने के बारे में पता था। जबकि 72.1 फीसद इससे अनजान थे। वहीं 14.5 फीसद का इलाज चल रहा था। उन्होने सुझाव दिया कि हृदय संबंधी जोखिम कम करने और दिल के दौरे रोकने हेतु उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हाई कोलेस्ट्रोल का उपचार जरूरी होता है, लेकिन इसके प्रति ज्यादातर लोग लापरवाह ही नजर आते हैं। यहां तक कि अक्सर लोग सीने में दर्द या बेचैनी, बाएं कंधे, कोहनी, जबड़े या पीठ में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी, चक्कर आने या बेहोशी और पसीना आने जैसे सामान्य लक्षणों को भी नजरअंदाज कर देते हैं।

डॉ पुरोहित ने कहा कि खराब खानपान, शारीरिक निष्क्रियता, तंबाकू सेवन और ज्यादा शराब पीने को हृदय रोग और दौरे के सबसे व्यावहारिक जोखिम हैं। इसके लक्षण बढ़े हुए रक्तचाप, बढ़े हुए रक्त ग्लूकोज और अधिक वजन तथा मोटापे के रूप में नजर आ सकते हैं। इन जोखिम कारकों को प्राथमिक देखभाल सुविधाओं में मापा जा सकता है और इनसे दिल के दौरे और अन्य जटिलताओं के बढ़ते जोखिम का संकेत मिलता है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित