जालंधर , अक्टूबर 08 -- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार डॉ नरेश पुरोहित ने हाल ही में तैयार कि गयी अपनी शोध रिपोर्ट में बताया है कि नशे का आदी होना भी मानसिक विकार है।

अवसाद के दौरान शराब और अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने से समस्या से निजात नहीं मिलती, बल्कि वह रोगी की हालत को और खराब कर देती है। ऐसी स्थिति में अवसाद से पीड़ित लोगों में यह आत्महत्या तथा खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति में इजाफा कर सकता है। ऐसे लोगों पर इलाज का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और उनके स्वस्थ होने में काफी वक्त लग जाता है।

बठिंडा स्थित पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, सामाजिक विज्ञान स्कूल द्वारा मादक पदार्थों के सेवन से होने वाले नुकसान विषय पर बुधवार को आयोजित एक संगोष्ठी के पश्चात प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक शोधार्थी डॉ पुरोहित ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी नशे की आदी हो रही हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य खराब होता है। साथ ही वे मानसिक अवसाद से ग्रसित हो जाते हैं। इससे आर्थिक नुकसान एवं पारिवारिक कलह बढ़ती है। नशे की लत को छोड़ने के लिए मानसिक रोग विशेषज्ञ, काउंसलर से परामर्श लेकर उपचार कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि आजकल की युवा पीढ़ी दिखावाबाजी और मौज-मस्ती तथा गलत संगत के चक्कर में पड़ कर नशे की लती हो रही है। यह भी मानसिक विकार की श्रेणी में आता है, जिसे डिपेंडेस सिड्रोम कहते हैं। उन्होंने बताया कि डिपेंडेस सिड्रोम से ग्रसित व्यक्ति का उपचार मानसिक रोग विशेषज्ञ से करने की जरूरत होती है।

डॉ पुरोहित ने संगोष्ठी में अपनी रिपोर्ट के हवाले से बताया कि देश में मानसिक रोगों से पीड़ित 27 में से एक व्यक्ति इलाज के लिए चिकित्सक के पास पहुंचता है। अवसादग्रस्त व्यक्ति द्वारा मादक पदार्थों का सेवन चिकित्सकों को समस्या की जड़ तक पहुंचने में दिक्कत पैदा करता है।

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