नयी दिल्ली, सितंबर 25 -- केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने गुरुवार को यहां इंदिरा गांधी कला केंद्र (आईजीएनसीए) में छठवें नदी उत्सव का उद्घाटन करते हुए कहा कि नदियां हमारी संस्कृति का आधार हैं।
इस अवसर पर सीआर पाटिल ने नदियों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि समुदायों को जीवित रखने और भारत के सांस्कृतिक चरित्र को आकार देने में नदियों का विशेष महत्व है। उन्होंने भावी पीढ़ियों के लिए नदियों के संरक्षण में सामूहिक ज़िम्मेदारी की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि नदियों की स्वच्छता के लिए बहुस्तरीय योजना के आधार पर कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 'वॉटर विजन@2047' के तहत इस दिशा में गंभीरता से काम हो रहा है।
श्री पाटिल ने कहा कि नदियां हमारी संस्कृति का आधार हैं यह केवल संसाधन नहीं हैं, बल्कि हमारी संवेदना और संस्कृति की धारा हैं। उन्होंने कहा कि मानवीय हस्तक्षेप ने नदियों का बहुत नुकसान किया है। उनका संरक्षण हमारी ज़िम्मेदारी है। उन्होंने नदी उत्सव के निरंतर आयोजन को सराहा।
श्री पाटिल ने कार्यक्रम में पांचवें नदी उत्सव में प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों के संकलन वाली पुस्तिका का लोकार्पण और नदी उत्सव से जुड़े पोर्टल का लोकार्पण किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता की आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने की। कार्यक्रम में इस्कॉन के आध्यात्मिक नेता गौरांग दास, साध्वी विशुद्धानंद उर्फ भारती दीदी और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी भी मौजूद थे। कार्यक्रम में अतिथियों और कलाकारों को ड्रिफ्ट वुड से निर्मित स्मृति चिह्न प्रदान किए गए। ज्ञात रहे कि ड्रिफ्ट वुड नदियों में बहने वाली वो लकड़ियां होती हैं, जो पानी के प्रवाह से कट कर एक सुंदर आकार ग्रहण कर लेती हैं।
तीन दिवसीय महोत्सव के पहले दिन 'नदी परिदृश्य गतिशीलता: परिवर्तन और निरंतरता' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल में में 'माई रिवर स्टोरी' 'गोताखोर: डिसेपेयरिंग डाइविंग कम्यूनिटी', 'रिवर मैन ऑफ इंडिया', 'अर्थ गंगा', 'मोलाई - मैन बिहाइंड द फॉरेस्ट', 'कावेरी - रिवर ऑफ लाइफ' और 'लद्दाख- लाइफ अलॉन्ग द इंडस' जैसी विचारोत्तेजक फिल्में प्रदर्शित की गईं।
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