नयी दिल्ली , नवंबर 10 -- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि पिछले 3-4 साल में देश का शहरी सहकारी बैंक क्षेत्र और सहकारी क्रेडिट सोसायटी क्षेत्र नए उत्साह के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
श्री शाह ने आज यहां शहरी सहकारी ऋण क्षेत्र के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 'को-ऑप कुंभ-2025' कार्यक्रम में कहा कि अर्बन सहकारी बैंक और क्रेडिट सोसायटी के सहकारिता कुंभ का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष्य में हो रहा है। पिछले 3-4 साल में देश का अर्बन कोऑपरेटिव बैंक क्षेत्र और कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी क्षेत्र नए उत्साह के साथ आगे बढ़ रहे हैं। को-ऑप कुंभ 2025 के दौरान पॉलिसी, तकनीक और नवाचार के विषय पर इस क्षेत्र से जुड़ी कई संभावनाओं का दोहन करने के लिए विचार होगा।
उन्होंने कहा कि को-ऑप कुंभ 2025 के ज़रिए अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के विस्तार का हमारा स्वप्न बहुत जल्दी पूरा होगा। आज यहां सहकार डिजी-पे और सहकार डिजी-लोन को अंब्रेला संगठन द्वारा लांच किया गया है। सहकार डिजी-पे एप्प के माध्यम से छोटे से छोटे अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को भी डिजिटल पेमेंट की सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद से मोदी सरकार ने कोऑपरेटिव से जुड़े हर क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन करने के लिए कई महत्वपूर्ण नीति विषयक निर्णय लिए हैं। इसके साथ-साथ, सहकारिता क्षेत्र को मॉडर्नाइज करने, इसकी कठिनाइयों के निवारण और कोऑपरेटिव की पहुंच बढ़ाने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा "अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को अपना कोर काम मल्टी-सेक्टर अप्रोच के साथ देश के युवा उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और कमजोर तबके के लोगों के सशक्तिकरण के लिए करना होगा। हमारा लक्ष्य कोऑपरेटिव को मजबूत करने के साथ-साथ कमजोर तबके के लोगों को भी म़जबूत करना है और अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के सिवा यह काम कोई और नहीं कर सकता। अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के माध्यम से कमजोर व्यक्ति का सशक्तीकरण करना भी हमारा लक्ष्य होना चाहिए।"केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा , "हमने पिछले दो साल में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (एनपीए) को 2.8 प्रतिशत से घटाकर 0.06 प्रतिशत करने में सफलता प्राप्त की है। हर शहर में एक अर्बन कोऑपरेटिव बैंक बनाना तभी संभव है जब हम कोऑपरेटिव सोसायटी को बैंक में परिवर्तित करने का प्रयास करें।"उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े हमारी प्रगति के द्योतक नहीं हो सकते, इसके साथ -साथ यह प्रयास भी होना चाहिए कि हर व्यक्ति को कुछ काम मिले और उसका जीवन स्तर बढ़े और कोऑपरेटिव के बिना यह नहीं हो सकता।
श्री शाह ने कहा कि कोऑपरेटिव के कॉन्सेप्ट और महत्व को भारत सरकार और सभी राज्य सरकारें पूरी तरह से समझती है और अब एक नए विश्वास और मेहनत के साथ एक पारदर्शी और परिणामोन्मुखी तरीके से काम करने की ज़रूरत है।
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