नयी दिल्ली , नवंबर 14 -- संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने शुक्रवार को कहा कि देश की प्रगति भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) संवर्ग के विकास के साथ गहराई से जुड़ी हुई है।

श्री सिंधिया ने भारतीय दूरसंचार सेवा (आई टी एस) की स्थापना की हीरक जयंती के उपलक्ष्य में राजधानी में आयोजित समारोह में कहा कि टेलीग्राफ की तारों और मैनुअल एक्सचेंजों के युग से लेकर अत्याधुनिक 5जी नेटवर्क, एआई-संचालित प्रणालियों और 6जी तकनीक के क्षितिज तक, आईटीएस भारत के डिजिटल विकास की रीढ़ रहा है।

समारोह में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन मुख्य अतिथि थे।

श्री सिंधिया ने कहा, "आईटीएस संवर्ग भारत की डिजिटल प्रगति के हर अध्याय में निरंतरता, क्षमता और आत्मविश्वास प्रदान करता है" और भारत को दूरसंचार नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

क्षेत्र के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यापक दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए संचार मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे भारत की बुनियादी ढाँचा क्रांति-राजमार्गों, हवाई अड्डों और जलमार्गों तक फैली-को एक मौन लेकिन गहन डिजिटल क्रांति द्वारा संपूरित किया गया है, जिसका संचालन आईटीएस अधिकारियों ने किया है जिन्होंने देश के डिजिटल राजमार्ग नेटवर्क का निर्माण किया है।

भविष्य की ओर देखते हुए, श्री सिंधिया ने सभी स्तरों पर अधिकारियों के लिए जिज्ञासा, निरंतर सीखने, विनम्रता, साहसिक सुधारों और मार्गदर्शन के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि नवाचार, साहसिक लक्ष्यों और अटूट समर्पण के साथ, आईटीएस संवर्ग भारत के विकास का दर्पण और वैश्विक मंच पर राष्ट्र की महत्वाकांक्षा का एक चित्र बना रहेगा।

मंत्री ने कहा, "हमें इस मंत्र के साथ जीना होगा: एक टीम, एक दृष्टि, एक लक्ष्य और एक परिणाम। और इसके साथ ही नवाचार करने की क्षमता भी।"इस अवसर पर संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने देश की तेज़ी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने वाले सुरक्षित, किफ़ायती डिजिटल बुनियादी ढाँचे के निर्माण में आईटीएस अधिकारियों के अपरिहार्य योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत के प्रौद्योगिकी के उपभोक्ता से 'दूरसंचार उत्पाद राष्ट्र' बनने के महत्वपूर्ण बदलाव पर ज़ोर दिया, यह बदलाव आईटीएस अधिकारियों द्वारा नवाचार समर्थन, स्टार्ट-अप सक्षमता और संचार साथी जैसे विश्व स्तरीय, 'आत्मनिर्भर' समाधानों के स्वदेशी निर्माण के माध्यम से महत्वपूर्ण रूप से प्रेरित किया गया है।

डॉ. पेम्मासानी ने कहा कि जहाँ अन्य सेवाओं ने राष्ट्र के भौतिक राजमार्गों का निर्माण किया है, वहीं आईटीएस ने डिजिटल राजमार्गों का निर्माण किया है जो 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था को परिभाषित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रगति न केवल डिजिटल खाई को पाट रही है, बल्कि अवसरों की खाई को भी पाट रही है।

उन्होंने सेवा को उसके छह दशकों के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी।

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