अहमदाबाद , अक्टूबर 02 -- गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 156वीं गांधी जयंती के अवसर पर गुरुवार को यहां डिजिटल पेमेंट करके खादी की खरीद की और स्वदेशी मुहिम को प्रोत्साहन दिया तथा सभी को विजयादशमी की शुभकामनायें भी दी।

श्री देवव्रत की उपस्थिति में गुजरात विद्यापीठ में आज 156वीं गांधी जयंती का आयोजन किया गया। राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री ऋषिकेश पटेल भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उन्होंने और उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर पर गुजरात विद्यापीठ परिसर में सफाई कार्य में भाग लेकर श्रमदान किया।

राज्यपाल ने इस अवसर पर डिजिटल पेमेंट करके खादी की खरीद की और स्वदेशी मुहिम को भी प्रोत्साहन दिया और सभी को विजयादशमी की शुभकामनायें भी दीं। गांधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जयंती के अवसर पर उन्होंने गांधी जी और शास्त्री जी के जीवन आदर्शों को स्मरण किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर राष्ट्र निर्माण में संघ के महत्वपूर्ण योगदान की भी सराहना की और कहा कि आज का दिन अत्यंत प्रेरणादायी है।

उन्होंने गांधी जी के जीवन आदर्शों और उनकी प्रासंगिकता पर कहा कि राष्ट्रपिता के जीवन आदर्श और मूल्य आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक और जीवंत हैं। जीवन और मृत्यु के बीच हम जनकल्याण के लिए कितने प्रयत्नशील रहते हैं, यह महत्वपूर्ण है। जो लोग दूसरों के दुःख दूर करने और दूसरों के जीवन में प्रकाश फैलाने के लिए जीवन जीते हैं, उनका जीवन सार्थक बनता है।

बापू ने संसाधनों के अभाव में भी तपस्वी की तरह निरंतर परिश्रम करके जीवन चिंतन दिया था। इसका उल्लेख करते हुए श्री आचार्य देवव्रतजी ने कहा कि बापू ने हमारी प्राचीन ऋषि परंपरा को जीवित रखने के लिए अथक प्रयास किए थे। "वैष्णव जन" भजन में संयम, त्याग, तपस्या, पुण्य जैसे बापू के जीवन के आदर्शों की अनुभूति होती है। सत्य बोलने से सुख की अनुभूति होती है। यदि दूसरों को सुखी रखने की भावना हो तो स्वयं को भी सुख की प्राप्ति अवश्य होती है। जैसे हम सावधान रहते हैं कि कोई हमारी चीज न छीन ले, वैसे ही हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हम दूसरों की कोई चीज न छीनें।

अंग्रेजों की गुलामी और अत्याचारों के खिलाफ बापू के संघर्ष की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि अंग्रेजों ने देश को गुलामी की मानसिकता, लूटपाट, ऊंच-नीच के भेदभाव और आंतरिक मतभेदों के बल पर गुलाम बनाया था। उन्होंने भारत की संस्कृति और परंपराओं को नष्ट किया था। अंग्रेजों की गुलामी से देश को स्वतंत्र करवाने के लिए बापू ने शाश्वत जीवन मूल्यों को अपनाया।

बापू ने लोगों को जोड़ने के लिए स्वदेशी को हथियार बनाया। इसका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि देश की संपत्ति देश में ही रहे और देश में रोजगार पैदा हो, इसके लिए बापू ने गांवों में कुटीर उद्योगों पर बल दिया। गांवों में अपनी जरूरत की वस्तुएं स्थानीय लोग ही बनाएं और स्वदेशी तथा स्वावलंबन कायम रहे, यही बापू का आग्रह था। उनका मानना था कि परावलंबन और परतंत्रता गुलामी की निशानी है। बापू के स्वदेशी और स्वावलंबन के विचारों को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'मेक इन इंडिया', 'वोकल फॉर लोकल' जैसी पहलें शुरू कीं हैं। स्वच्छता, स्वावलंबन और स्वदेशी का हमारा संकल्प भारत की उन्नति का आधार बनेगा।

राज्यपाल ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों और कृत्रिम खाद की आयात में देश की सबसे अधिक संपत्ति खर्च होती है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने शासन की कमान संभालने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में देश को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास शुरू किए। आज हम कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बने हैं। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर हमारी निर्भरता बढ़ी है। रक्षा क्षेत्र में भी हम आत्मनिर्भर बने हैं। आज हमारा देश सुरक्षा उपकरणों का निर्यातक भी बन गया है।

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