जयपुर , नवंबर 06 -- राजस्थान में इस बार अबूझ सावा देवउठनी एकादशी पर गांवों में हजारों शादियां सम्पन्न हुई लेकिन अतिवृष्टि से किसानों की फसले खराब होने एवं एवं सोने-चांदी के भावों में तेजी के कारण वे इस अवसर पर गले की हंसली, सिर की रखड़ी, हाथ की बंगड़ी, पांव की कड़ियां सहित मनचाही खरीददारी नहीं कर पाये और किसान की यह देवउठनी एकादशी उदासीन एकादशी रही।
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता के अनुसार 55 हजार गांवों और असंख्य ढाणियों के ग्रामीण राजस्थान में इस वर्ष शादियों के मौके पर केवल 1.5 लाख किलाग्राम बिक्री हुई जबकि गत वर्ष छह लाख किलोग्राम चांदी की बिक्री हुई थी।
श्री गुप्ता ने बताया कि अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसल खराब हुई और सोने-चांदी के भाव भी काफी तेज रहे। अतिवृष्टि के कारण खराब हुई फसल ने किसान को उदास कर दिया। उसके हाथ से आया हुआ धन फिसल गया। उसकी प्राथमिकता शादी में गहने खरीदने से पहले बैंकों का ऋण चुकाना हो गया।
उन्होंने बताया कि राजस्थान में खरीफ की फसल में 50 लाख टन बाजरा, 22 लाख टन मक्का, 5 लाख टन ज्वार, 16 लाख टन मूंग, 4 लाख टन मोठ, 1.70 लाख टन उड़द, 50 हजार टन चौला, 24 लाख टन मूंगफली की पैदावार हुई परन्तु अतिवृष्टि के कारण कहीं 80 प्रतिशत फसल खराब, कहीं 60 प्रतिशत, कहीं 50 प्रतिशत तथा कहीं-कहीं तो 90 से 95 प्रतिशत फसले खराब हुई है। उत्पादन का 60 प्रतिशत बाजरा पशुओं के खाने में जा रहा है यहीं हालात ज्वार एवं मक्का का है। इसी प्रकार दलहन की बात करें तो मूंग के भाव दो हजार रुपए प्रति क्विंटल तक है और ऊपर में आठ हजार क्विंटल है। इसका भी अनुपात 60-40 का ही है। यही हालात तुअर दाल, उड़द एवं मोठ का भी है। मोठ की दाल खराब होने के कारण बीकानेर का पापड़ एवं मंगोड़ी उद्योग भी संकट में आ गया है।
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