नयी दिल्ली , नवंबर 22 -- दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण के उपायों और उनकी निगरानी के लिए बने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रैप) के नियमों को और कड़ा कर दिया है जिसके बाद मौजूदा परिस्थितियों में राज्य सरकारों को सरकारी और निजी कार्यालयों में आधे कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम देने पर फैसला करना होगा।
ग्रैप के तहत चार चरणों के प्रावधान हैं। जैसे-जैसे प्रदूषण का स्तर बढ़ता है क्रमशः चरण-1, 2, 3 और 4 लागू होता है। आयोग के आदेश से 11 नवंबर से दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप का तीसरा चरण लागू है।
आयोग ने शुक्रवार को नियमों में जो बदलाव किये हैं उसके तहत स्टेज-4 के कुछ प्रावधान अब स्टेज-3 का हिस्सा बन गये हैं। एनसीआर और राष्ट्रीय राजधानी टेरिटरी प्रशासन के अधीनस्थ सरकारों को सरकारी, स्थानीय निकायों के और निजी कार्यालयों के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने पर फैसला करना होगा। केंद्र सरकार भी अपने कार्यालयों में कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति दे सकती है।
स्टेज-4 के कुछ प्रावधानों को अब स्टेज-3 में शामिल किया गया है। इनमें राष्ट्रीय राजधानी टेरिटरी में सरकारों के लिए अपने कार्यालयों की टाइमिंग में अलग-अलग स्लॉट तैयार करना होता है। इसमें दिल्ली के साथ गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर शामिल हैं। एनसीआर के अन्य इलाकों के लिए भी यह नीति लागू करना संबंधित राज्य सरकारों के लिए वैकल्पिक होता है। केंद्र सरकार भी दिल्ली-एनसीआर में अपने कार्यालयों के लिए इसी तरह का फैसला ले सकती है।
अब ग्रैप के पहले चरण में ही बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी ताकि डीजी सेट तथा अन्य वैकल्पिक साधनों के इस्तेमाल को हतोत्साहित किया जा सके। यातायात को सुगम बनाना होगा। टेलिविजन, रेडियो और समाचार माध्यमों से लोगों को सुझाव दिया जायेगा और मेट्रो तथा बसों के फेरे बढ़ाकर सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करना होगा। अब तक ये सभी प्रावधान स्टेज-2 में शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि सीएक्यूएम ने 17 नवंबर को उच्चतम न्यायालय में एक मामले की सुनवाई के दौरान नियमों में इन बदलावों का प्रस्ताव रखा था। अगली सुनवाई में 19 नवंबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि आयोग को इन प्रस्तावों को लागू कर सकता है।
दिल्ली में शुक्रवार को औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 364 दर्ज किया गया जो 'बहुत खराब' की श्रेणी में आता है।
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