झुंझुनू , नवम्बर 13 -- थाईलैंड में ऊंचे वेतन और शानदार जीवन का सपना दिखाकर भारत से सैंकड़ों युवाओं को म्यांमार की धरती पर साइबर अपराध की फैक्ट्री में पहुंचा दिया गया है, इनमें से एक है राजस्थान में झुंझुनू का अविनाश जिसने अपनी जुबानी उस नरक की दास्तां सुनाई।

अविनाश ने कृषि विषय में बीएससी की है। उसने बताया कि थाईलैंड में ऐसे गिरोह हैं जो युवकों को आकर्षक नौकरी दिलाने के बहाने साइबर ठग बना देते हैं। ऐसा नहीं करने पर उनसे अमानवीय व्यवहार करते हैं।

उसने आपबीती सुनाते हुए बताया कि एक एजेंट ने उन्हें थाईलैंड की बड़ी कंपनी में नौकरी दिलाने का लालच दिया। 80 हजार रुपए वेतन और 20 हजार बोनस का वायदा किया गया। इसी लोभ में वह थाईलैंड चला गया, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उसे पता चला कि वहां कोई नौकरी नहीं है, बल्कि आपराधिक गिरोह है जो युवकों को फंसाकर उन्हें म्यांमार भेज देता है जहां उनसे साइबर ठगी कराई जाती है।

उसने बताया कि थाईलैंड पहुंचते ही उसे अन्य कई युवकों के साथ डंकी रूट से जंगलों के रास्ते म्यांमार ले जाया गया। म्यांमार पहुंचते ही उसका पासपोर्ट छीन लिया गया। एक बड़े कंपाउंड में बंद कर दिया गया। चारों तरफ हथियारबंद गार्ड थे। वहां से बाहर निकलना नामुमकिन था। हर युवक को एक नई पहचान दी जाती थी। अविनाश को कहा गया कि अब तुम्हारा नाम नैंसी है, तुम अमरीका में रहने वाली युवती हो। तुम्हें फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बुजुर्ग अमरीकियों से बात करनी है।

उसने बताया कि कैंप में मौजूद लोग सुंदर महिलाओं की तस्वीरें वाले फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट चलाते थे। उनका काम था अमरीकी बुजुर्गों से दोस्ती करके उनका भरोसा जीतना, फिर निवेश या गिफ्ट कार्ड के नाम पर ठगी करना। अविनाश ने बताया, "मैंने एक महीने में 10 लोगों से बात की। उनमें से तीन से ठगी सफल हुई। जो निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं करता था। उसे करंट से झटके दिए जाते थे या भूखा रखा जाता था। भारत सरकार के एक विशेष अभियान के तहत म्यांमार-थाईलैंड सीमा से करीब 500 भारतीय युवाओं को छुड़ाया गया। जिनमें अविनाश भी शामिल था।

उसने बताया कि वहां सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, बंगलादेश, नाइजीरिया, इथियोपिया जैसे देशों के युवक भी ठगी करने पर मजबूर थे। अविनाश ने कहा कि हम सोच रहे थे कि विदेश जाकर पैसा कमाएंगे, लेकिन हमें साइबर ठग बना दिया गया। हर दिन झूठ बोलना, धोखा देना और डर के साए में जीना हमारी दिनचर्या बन गई थी।

यह आधुनिक गुलामी है। यह कहानी चेतावनी है उन युवाओं के लिए जो विदेश की चमक में सब कुछ दांव पर लगा देते हैं और 'नौकरी' नहीं बल्कि 'नर्क' में जाकर फंस जाते हैं।

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