मुंबई , नवंबर 12 -- देश में सीमेंट उत्पादन क्षमता में वित्त वर्ष 2027-28 तक तीन साल में 16-17 करोड़ टन की वृद्धि की संभावना है जो पिछले तीन वित्त वर्ष के 9.5 करोड़ टन की क्षमता वृद्धि के मुकाबले 75 प्रतिशत अधिक है।
बाजार अध्ययन एवं साख निर्धारक एजेंसी क्रिसिल ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही। उसने बताया कि मजबूत मांग और उच्च क्षमता दोहन को देखते हुए उम्मीद है कि सीमेंट कंपनियां अपनी क्षमता बढ़ायेंगी। हालांकि इसके लिए बड़ी पूंजी आवश्यकता होगी। साथ ही अधिकतर मामलों में मौजूदा कंपनियों के ही क्षमता विस्तार में उम्मीद दिख रही है। क्रिसिल ने 17 सीमेंट कंपनियों की योजनाओं और बैलेंसशीट के अध्ययन के आधार पर यह बात कही है। इन 17 सीमेंट कंपनियों की संयुक्त उत्पादन क्षमता देश के कुल 66.8 करोड़ टन सालाना क्षमता का 85 प्रतिशत है।
मजबूत मांग के कारण रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले तीन साल में देश में सीमेंट का उत्पादन 9.5 प्रतिशत वार्षिक औसत दर से बढ़ा है। इसमें बुनियादी ढांचा और आवास क्षेत्र की मुख्य भूमिका रही है। इसके परिणाम स्वरूप पिछले वित्त वर्ष में क्षमता दोहन एक दशक के 65 प्रतिशत की औसत के मुकाबले बढ़कर 70 प्रतिशत पर पहुंच गया।
क्रिसिल रेटिंग्स के आनंद कुलकर्णी ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 से 2026-28 के बीच हर साल सीमेंट की मांग में तीन-चार करोड़ टन की वृद्धि होने की उम्मीद है। इससे क्षमता में भी मजबूत वृद्धि देखने के लिए मिलेगी, हालांकि यह हर साल एक जैसी नहीं होगी।
मौजूदा वित्त वर्ष में सात से 7.5 करोड़ टन अतिरिक्त उत्पादन शुरू होगा जिससे निकट भविष्य में क्षमता दोहन के अनुपात में कमी आयेगी। लेकिन तीन साल में उत्पादन क्षमता विस्तार के अनुरूप हो जायेगा। क्रिसिल रेटिंग्स के एसोसिएट डॉयरेक्टर पार्थ शाह ने कहा कि सीमेंट कंपनियों के अगले तीन साल में 1.2 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की संभावना है। यह पिछले तीन वित्त वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस पूंजीगत निवेश में 10-15 प्रतिशत हरित ऊर्जा और लागत की तुलना में दक्षता में सुधार की परियोजनाओं पर खर्च होंगे।
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