चेन्नई , नवंबर 22 -- तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले संभावित गठबंधन के लिए अभिनेता-राजनेता विजय की नई पार्टी तमिलगा वेट्री कषगम (टीवीके) से जोड़ तोड़ की बढ़ती अटकलों के बीच, बिहार चुनावों में करारी हार झेलने वाली कांग्रेस ने शनिवार को तमिलनाडु में द्रमुक के नेतृत्व वाले सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस (एसपीए) में शामिल गठबंधन दलों के साथ औपचारिक बातचीत शुरू करने के लिए पांच सदस्यीय समन्वय समिति गठित की।
द्रमुक के नेतृत्व वाला गठबंधन फिलहाल पहले की तरह ही मजबूत दिख रहा है, जिसने 2019 के बाद से तमिलनाडु में लगातार सभी चुनाव जीते हैं। एसपीए के सभी सहयोगी दल इस ताकत के बल पर 6-7 महीने बाद होने वाले 2026 विधानसभा चुनावों में जीत की हैट्रिक बनाने का पूरा भरोसा जता रहे हैं।
दूसरी ओर, मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक ने भाजपा के साथ अपना चुनावी गठजोड़ फिर से शुरू कर लिया है, लेकिन वह अभी तक सत्तारूढ़ द्रमुक को कड़ी टक्कर देने वाला मजबूत मोर्चा नहीं बना पायी है। अन्नाद्रमुक पुराने सहयोगी पीएमके को वापस लाने की कोशिश कर रही है, जो संस्थापक एस. रामदॉस और उनके बेटे डॉ. अंबुमणि रामदॉस (दोनों अलग-अलग गुटों के नेता) के बीच नेतृत्व की लड़ाई के कारण दो फाड़ हो चुकी है। दिवंगत अभिनेता विजयकांत की डीएमडीके भी कमजोर पड़ चुकी है। इन सबके बीच द्रमुक के नेतृत्व वाले एसपीए को 2026 में फिर से जीत का पूरा भरोसा है।
द्रमुक ने पहले ही बढ़त ले ली है। पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन सभी निर्वाचन क्षेत्रों के पार्टी पदाधिकारियों के साथ चुनावी तैयारियों की समीक्षा के लिए एक-एक करके बैठकें कर रहे हैं। उनकी सबसे बड़ी सहयोगी कांग्रेस भी पीछे नहीं रही। कांग्रेस ने शनिवार गठबंधन दलों के साथ बातचीत के लिए पांच सदस्यीय पैनल बनाया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तमिलनाडु प्रभारी गिरीश चडनकर की अगुआई में यह समिति गठित की है। इसमें तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी (टीएनसीसी) के अध्यक्ष के. सेल्वापेरुन्थगई, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सूरज एम.एन. हेगड़े और सुश्री निवेदिता अल्वा और कांग्रेस विधायक दल नेता एस. राजेश कुमार अन्य सदस्य हैं।
यह समिति ऐसे समय बनाई गई है जब यह अटकलें जोरों पर हैं कि कांग्रेस अभिनेता विजय की टीवीके से गुप्त रूप से संपर्क कर रही है। विजय ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी गठबंधन के लिए तैयार है और यदि 2026 में उनकी सरकार बनी तो सत्ता में हिस्सेदारी भी देने को तैयार हैं। हालांकि तमिलनाडु कांग्रेस के नेताओं ने इन खबरों का खंडन किया है और यह भी स्पष्ट किया है कि विजय ने राहुल गांधी से कोई बात नहीं की।
हाल के दिनों में कांग्रेस-टीवीके संभावित गठजोड़ की अटकलों ने जोर पकड़ा था, जिसके बाद श्री सेल्वापेरुन्थगई ने सफाई दी कि पार्टी तमिलनाडु में द्रमुक के नेतृत्व वाले एसपीए के साथ पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
कांग्रेस ने भी 2026 में सरकार में हिस्सेदारी की बात उठाई थी, लेकिन इस पर ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया, क्योंकि सरकार में हिस्सेदारी सत्ताधारी द्रमुक और अन्नाद्रमुक दोनों को ही नापसंद है। यह तमिलनाडु के राजनीतिक इतिहास में कभी नहीं हुआ, तब भी नहीं जब द्रमुक ने 2006 के चुनावों में अपने दम पर बहुमत की जादुई संख्या 118 सदस्य हासिल किए बिना कांग्रेस के बाहरी समर्थन से पूरे पांच साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया थ। द्रमुक उस समय सिर्फ़ 96 सीटें जीती थीं और कांग्रेस के 34 विधायक थे। कांग्रेस ने उस समय 48 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
2006 में 234 सदस्यों वाली विधानसभा में द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन के कुल 163 सदस्य थे, जबकि पीएमके (18), सीपीएम (9) और सीपीआई (6) के अन्य सदस्य थे। द्रमुक के संरक्षक एम. करुणानिधि के नेतृत्व वाली सरकार ने विपक्षी अन्नाद्रमुक के बार-बार के अवरोध को सफलतापूर्वक पार कर लिया था, जिसमें अन्नाद्रमुक इसे 'अल्पमत' सरकार बताती थी।
2026 चुनावों के लिए समन्वय समिति का गठन कांग्रेस का पहला सोचा-समझा कदम है। पार्टी इस बार ज्यादा सीटों के लिए कड़ा मोलभाव करने की रणनीति पर काम कर रही है।
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