नयी दिल्ली , अक्टूबर 8 -- दूरसंचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यहां भारतीय मोबाइल कांग्रेस-2025 के पहले दिन सैटकॉम शिखर सम्मेलन में कहा कि सैटकॉम ( सैटेलाइट आधारित दूरसंचार प्रणाली) केवल तकनीक ही नहीं, बल्कि डिजिटल युग में दूरदराज के क्षेत्र के लोगों के साथ न्याय का एक ज़रिया है।
उन्होंने "सार्वभौमिक संपर्क के लिए अंतरिक्ष नेटवर्क" विषय पर अपने संबोधन में तेज़ी से विकसित हो रहे उपग्रह संचार क्षेत्र में भारत के दृष्टिकोण और भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सैटकॉम एक ऐसी तकनीक है जिसमें "आसमान से शुरू होने वाला परिवर्तन, पृथ्वी पर जीवन को बदल देता है।"सैटकॉम शिखर सम्मेलन केवल एक और प्रौद्योगिकी सम्मेलन ही नहीं है, एक नई क्रांति की शुरुआत का प्रतीक है। यह एक ऐसी क्रांति है जो आकाश से शुरू होती है, उपग्रहों द्वारा संचालित होती है और ज़मीन पर मानव जीवन को बदल देती है।
उन्होंने कहा, ' सैटकॉम सिर्फ़ तकनीक ही नहीं, बल्कि डिजिटल युग में न्याय का एक ज़रिया है। यह लद्दाख के किसान को वास्तविक समय के मौसम अपडेट, लक्षद्वीप के मछुआरे को तूफ़ान की चेतावनी, छत्तीसगढ़ के आदिवासी गाँव के बच्चे को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक से सीखने और डॉक्टर को बाढ़ प्रभावित असम में मरीज़ों तक पहुँचने में सक्षम बनाता है।'दूरसंचार मंत्री ने कार्यक्रम में दुनिया भर के विशेषज्ञों के समक्ष कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत अब दुनिया के लिए गति निर्धारित कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत न केवल वैश्विक प्रगति के साथ तालमेल बनाए हुए है, बल्कि अब उसे दिशा भी दे रहा है। पिछले दो वर्षों में, 5जी कनेक्टिविटी भारत की 99.9 प्रतिशत आबादी तक पहुँच चुकी है, देश भर में 480,000 टावर स्थापित किए जा चुके हैं, और देश दुनिया में सबसे तेज़ सैटकॉम सेवा शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया फंड के माध्यम से, भारत सरकार ने 38,000 से अधिक सुदूर गाँवों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। अब तक, लगभग 29,000 गाँव, यानी लगभग 75 प्रतिशत, 40,000 करोड़ रुपये के निवेश से जुड़ चुके हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जहाँ सड़कें नहीं पहुँच सकतीं, वहाँ सैटकॉम पहुँचेगा, जो सच्चे डिजिटल समावेशन का उदाहरण होगा।
उन्होंने कहा कि कि आर्यभट्ट से चंद्रयान-3 तक भारत की यात्रा दर्शाती है कि राष्ट्र की आकांक्षाएँ अब दूसरों से स्वतंत्र होकर अपनी कक्षा में परिक्रमा कर रही हैं। उन्होंने आदित्य-एल1, गगनयान और नाविक जैसी परियोजनाओं का हवाला देते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत नवाचार में भागीदार से अग्रणी बन गया है।
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