नयी दिल्ली , नवंबर 14 -- विश्व मधुमेह दिवस पर यहां शुक्रवार को डायबिटक रेटिनोपैथी पर आयोजित राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में बीमारी की रोकसथा और प्रबंधन पर नये दिशानिर्देश जारी किये गये।
सम्मेलन के शुरू में मुख्य अतिथि नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल, वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. जेएस टिटियाल समेत बड़ी संख्या में नेत्र विशेषज्ञ मौजूद थे। इस अवसर पर डॉ. पॉल ने कहा कि डायबिटिक रेटिनोपैथी के प्रबंधन के साथ अब कार्रवाई का समय है, इसके लिये केंद्र सरकार आयुष्मान योजना और आयुष्मान आरोग्य केंद्र के माध्यम से दूरगामी इलाज से संबंधित सुविधा प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है।
इस अवसर पर वीआरएसआई के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. किम रामास्वामी ने डायबिटिक रेटिनोपैथी के बारे में जानकारी देते हुये कहा कि मधुमेह से पीड़ित हर व्यक्ति इसकी जद में है, इसलिये समय समय पर जांच आवश्यक है।
चंडीगढ़ पीजीआई की वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. वैशाली गुप्ता ने कहा कि मधुमेह से पीडित 40 साल के उम्र से अधिक के लोगों को डायबिटिक रेटिनोपैथी होने का खतरा अधिक है। ऐसे में लापरवाही स्थायी अंधेपन का कारण बन सकती है। उन्होंने बताया कि यह समस्या शहरों की तरह गांवों में भी है। उन्होंने कहा भारत मधुमेह की राजधानी होने के कारण देश की बड़ी आबादी पर इस बीमारी का खतरा अधिक है।
जयपुर से आये वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. विशाल अग्रवाल ने कहा कि मधुमेह प्रभावित करीब 12 फीसदी लोगों में डायबिटीक रेटिनोपैथी का खतरा है। यह युवाओं में अधिक देखा जा रहा है।
रोश प्रोडक्ट्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा समर्थित इस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। एक दिवसीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, गैर-सरकारी संगठनों, उद्योग के नेताओं और चिकित्सा समुदाय के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख हितधारकों को मधुमेह रेटिनोपैथी के कारण होने वाली दृष्टि हानि को रोकने पर सहयोगात्मक कार्रवाई करने के लिए एक साथ लाया गया।
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