अहमदाबाद , नवंबर 07 -- उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने शुक्रवार को यहां कहा कि डाक विभाग में 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूर्ण होने पर वर्ष भर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।
देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में डाक विभाग द्वारा देशभर के सभी डाकघरों में विशेष स्मरणीय कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में भारतीय डाक विभाग द्वारा शुक्रवार को अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने डाक विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों संग 'वन्दे मातरम्' का सामूहिक गान किया और 'वन्दे मातरम्' की महत्त्ता पर प्रकाश डाला।
श्री यादव ने इस अवसर पर कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ भारत का राष्ट्रीय गीत नहीं, बल्कि देश के स्वतंत्रता संग्राम से गहराई से जुड़ा है। बंकिमचन्द्र चटर्जी ने सात नवंबर, 1875 को जब वंदे मातरम् लिखा तो यह भारत की आत्मा का गान बन गया। मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक बताते हुए इस गीत ने भारत की एकता और आत्मगौरव की जागृत भावना को काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी।
यह गीत जल्द ही राष्ट्र के प्रति समर्पण का एक चिरस्थायी प्रतीक बन गया। संस्कृत और बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन सर्वप्रथम उनके उपन्यास 'आनन्द मठ' में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर ने सन् 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में यह गीत गाया था। भाषा और क्षेत्र से परे यह गीत स्वाधीनता आंदोलन के दौर में भारत की सामूहिक आत्मा की आवाज बन गया था। विभिन्न भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ और यह मातृ भूमि के प्रति प्यार और राष्ट्र भक्ति के प्रतीक रूप में लोगों की जुबां पर चढ़ता गया। देश की आजादी पश्चात संविधान सभा ने 24 जनवरी, 1950 को 'वन्दे मातरम्' को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाया।
पोस्टमास्टर जनरल ने कहा कि डाक टिकटों के माध्यम से भी राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' को देश-विदेश में प्रसारित करने और युवाओं से जोड़ने में डाक विभाग की अहम् भूमिका रही है। 'वन्दे मातरम्' के 150 वर्ष (1875-2025) को ऐतिहासिक बनाने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात नवंबर, 2025 को इस पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। डाक टिकट न केवल हमारे इतिहास की झलक प्रस्तुत करते हैं, बल्कि राष्ट्र की भावनाओं और सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोए रखते हैं। इससे पूर्व 30 दिसंबर, 1976 को भी 'वन्दे मातरम्' पर भारतीय डाक विभाग द्वारा एक डाक टिकट जारी किया गया था।
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